देहरादून। उत्तराखंड में गुलदारों (तेंदुए) की मौत के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। कहीं जहरीला पदार्थ खाने से तो, कहीं आपसी संघर्ष में गुलदारों की मौत हुई है। कुछ ही दिनों में हरिद्वार, ऋषिकेश और मसूरी में पांच गुलदारों मौत हो चुकी हैं, जिससे वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। पहला मामला हरिद्वार का है, जहां जहरीले पदार्थ के सेवन से तीन गुलदारों की मौत हुई। वहीं, ऋषिकेश रेंज के जंगल में भी एक गुलदार मृत पाया गया। वन विभाग का मानना है कि इसकी वजह आपसी संघर्ष है। फिलहाल, गुलदार का पोस्टमार्टम कर बिसरा जांच के लिए सुरक्षित रख लिया गया है। इसके साथ ही मसूरी में भी गुलदार के एक शावक का शव मिला है। हालांकि इसका पता नहीं चल पाया है कि शावक की मौत किन कारणों से हुई है।हरिद्वार में तीन गुलदारों की मौत के मामले में घटना के दूसरे दिन वन विभाग और पार्क अधिकारियों ने राजाजी टाइगर रिजर्व के जंगलों में खाक छानी, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल पाई। इधर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी तक नहीं आने से अधिकारी मौत के सही कारणों का आंकलन नहीं कर पा रहे हैं। अफसरों का कहना है कि पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का सही पता चल पाएगा। हालांकि रिपोर्ट आने में अभी तीन दिन और समय लगने की बात कही जा रही है।
दरअसल, शुक्रवार को लालढांग क्षेत्र के रवासन, लैंसडौन और चिड़ियापुर रेंज में तीन गुलदारों के शव मिले थे। अधिकारियों ने तीनों गुलदार की मौत का कारण जहरीला पदार्थ का खाना बताया गया। एक साथ तीन गुलदार की मौत को अधिकारी भी कोई साधारण घटना नहीं मान रहे हैं। लिहाजा घटना के बाद से ही पूरे पार्क क्षेत्र के साथ ही वन प्रभाग में भी सर्च अभियान जारी है। शनिवार को तेज बारिश के बावजूद भी पार्क के अधिकारी डॉग स्क्वायड की टीम जंगलों में साक्ष्य जुटाने का प्रयास करती रही। सर्च अभियान को एक ओर जहां लैंसडौन वन प्रभाग के रेंजर बिंदरपाल लीड कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर रवासन रेंज के रेंजर प्रमोद ध्यानी जंगल में सघन अभियान चलाए हुए थे लेकिन देर शाम तक भी डॉग स्क्वायड की टीम को कोई सफलता नहीं मिल पाई थी।
रवासन रेंज में रेंजर प्रमोद ध्यानी ने बताया कि सुबह से ही जंगल में सर्च अभियान चलाया जा रहा है। फिलहाल, कोई सुराग नहीं मिल पाया है। सर्च अभियान लगातार जारी रहेगा। बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही गुलदार की मौत के कारणों का सही पता चल पाएगा। रिपोर्ट आने में तीन दिन और वक्त लग सकता है।
जंगल में हर समय गश्त करने के दावे करने वाले पार्क प्रशासन और वन प्रभाग की रेंज से तीन गुलदार के शव मिलने के बाद दोनों की गश्त पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। घटना स्थल के समीप ही लैंसडौन वन प्रभाग के लालढांग का रेंज कार्यालय और राजाजी पार्क की रवासन नदी का कार्यालय भी है। बावजूद इसके तीन दिन तक मृत हालत में पड़े गुलदारों की भनक अफसरों को नहीं लगी।
हरिद्वार वन प्रभाग की चिड़ियापुर रेंज, लैंसडौन की लालढांग रेंज और पार्क की रवासन रेंज के जंगल में मिले तीन गुलदार के शव मिलने से पार्क प्रशासन और वन प्रभाग की गश्त की पोल खुलकर सामने आ गई है। एक ओर जहां हाल ही में सरकार ने टाइगर की गणना के बाद उनकी संख्या में इजाफा होने पर अपनी पीठ थपथपाई है, वहीं बाघों के लिए सुरक्षित स्थान कहे और माने जाने जाने वाले राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा पर तीन दिन तक गुलदार के शव पड़े होने के बावजूद अधिकारियों को इसके भनक तक नहीं लगी।
बरसात के दिनों में बरसाती नदियां उफान पर होने पर आम लोग नदी पार नहीं कर पाते हैं, लेकिन तस्कर उसे आसानी से पार कर लेते हैं। जिस स्थान पर गुलदारों के शव मिले हैं, वहां टाइगरों की भी काफी चहल-कदमी देखने को मिलती है। राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पीके पात्रो ने बताया कि अगर शिकार की मंशा से गुलदारों को मारा गया हो तो वह रिहायशी इलाके के समीप इस प्रकार की घटना को अंजाम नहीं देते। कहा कि ये किसी जानवर को खाने से हुआ है, जो जहरीला पदार्थ खाकर मरा हो। गश्त के सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्क और वन प्रभाग क्षेत्र में बराबर गश्त की जाती है।