देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हम सभी के अणुप्रयास की जरूरत है। रामसेतु के निर्माण में जिस प्रकार एक गिलहरी भी अपना योगदान दे रही थी उसी प्रकार पर्यावरण संरक्षण में छोटी से छोटी कोशिश भी बहुत महत्वपूर्ण है। छोटी-छोटी कोशिशें मिलकर ही बङा परिवर्तन लाती हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पर्यावरण व वनीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए डाक विभाग उत्तराखंड परिमण्डल द्वारा आयोजित वाकिंग रेस को रवाना किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति हमें प्रकृति से जोङ़ती है। हमारे यहाँ पेङ पौधों, नदियों, कुओं व पशुओं की पूजा की जाती है। इसके पीछे वैज्ञानिक आधार रहा है। पीपल, बरगद, तुलसी, गाय के गुणों को आज विज्ञान भी मानता है। हमारे पूर्वजों ने जो ज्ञान की धरोहर सौंपी है उस पर चलकर ही प्रकृति व पर्यावरण का संरक्षण किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व नीति आयोग ने जल संचय-जल संरक्षण पर बल दिया है। राज्य सरकार भी इसके लिए प्रयासरत है। हर जिले में एक-एक वाटरशेड विकसित करने के निर्देश दिये हैं। जल स्त्रोतों को रीचार्ज या पुनर्जीवित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संचय व जल संरक्षण के लिए पेङ जरूरी हैं। पेङ है तो पानी है। पानी अमूल्य है। पानी बचाने के लिए हम सभी को मिलकर प्रतिबद्धता के साथ कोशिश करनी होगी। अगर टायलेट के सिस्टर्न में एक लीटर की बोतल रख दी जाए तो भी प्रतिदिन लाखों लीटर पानी बचाया जा सकता है। इस अवसर पर चीफ पोस्टमास्टर जनरल उत्तराखंड परिमण्डल कर्नल सुखधर राज, निदेशक एसके राय भी उपस्थित थे।
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