देहरादून। पथरिया पीर शराब कांड के सामने आने के बाद से बंद चल रहे शराब ठेकों को लेकर देशी शराब कारोबारियों ने रोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस अवधि में ही उन्हें करीब 2.5 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया है। इस तरह की घटना को लेकर कारोबारियों ने शराब नीति को भी कठघरे में खड़ा किया। शुक्रवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू देशी शराब कारोबारियों ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ जनता को शराबबंदी का संदेश दे रही है, जबकि दूसरी तरफ हर वर्ष वर्ष शराब ठेकों से राजस्व का ग्राफ बढ़ा दिया जाता है। पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में उत्तराखंड के तीन हजार करोड़ रुपये के राजस्व के सापेक्ष ना के बराबर राजस्व है। राजस्व वसूली के लिए ठेकेदारों को पूरी तरह निचोड़ दिया जाता है। नियमों के अनुरूप पूरे सालभर का अधिभार अदि 12 माह में विभाजित कर दिया जाता है। इस तरह रोजाना लाखों रुपये की बिक्री जरूरी है। ऐसे में बिना उचित कारण शराब ठेकों को बंद कर देने से कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो गया है। इस अवसर पर कारोबारी अतुल सिंघल ने कहा कि पथिरिया पीर में ठेकों की देशी शराब से लोंगों की मौत होने की बात कहते हुए शराब ठेके बंद करा दिए गए थे, जबकि अभी तक की सैंपलिंग में कुछ भी गड़बड़ नहीं मिली। उन्होंने यह भी मांग उठाई कि अब तक बंद रहे शराब ठेकों के राजस्व को माफ किया जाना चाहिए।
