शांतिकुंज में सर्वपितृ अमावस्या में हुए सामूहिक श्राद्ध संस्कार

हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में सर्वपितृ अमावस्या को निःशुल्क सामूहिक तर्पण संस्कार सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर देश के कोने-कोने से आये हजारों श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की याद करते हुए जलांजलि अर्पित की, तो वहीं श्रदलुओं ने अपने-अपने पितरों की याद में एक-एक पौधा रोपने व उसे संरक्षित करने का संकल्प लिया। सर्वपितृ अमावस्या के दौरान शांतिकुंज व्यवस्थापक शिवप्र्रसाद मिश्र के नेतृत्व में आचार्यों ने तीन अलग-अलग स्थानों में कुल अठ्ठारह पारियों में संस्कार कराया। एक पारी में एक हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने श्राद्ध संस्कार में भागीदारी की।  इस अवसर पर मिश्र ने कहा कि मनुष्य के मृत्यु के बाद उसकी आत्मा मरती नहीं है। उसका अपना अस्तित्व बना रहता है। आत्मा अमर, अजर, सत्य और शाश्वत है। जिस प्रकार पुराने, जीर्ण वस्त्र त्याग करके मनुष्य नये वस्त्र धारण करता है, उसी प्रकार आत्मा जीर्ण शरीर का त्याग करके नया शरीर धारण करती है। उन्होंने कहा कि जब जीवात्मा एक जन्म पूरा करके अपने दूसरे जीवन की ओर उन्मुख होती है, तब जीव की उस स्थिति को भी एक विशेष संस्कार के माध्यम से बाँधा जाता है, जिसे मरणोत्तर संस्कार या श्राद्ध कर्म कहा जाता है। उन्होंने कहा कि पितृपक्ष के प्रत्येक दिन अपने पितरों के अलावा महापुरुषों, संतों, शहीदों, प्राकृतिक आपदाओं में असमय काल कवलित हुई मृतात्माओं की सद्गति एवं कन्या भ्रुण हत्या में जो शिशु आत्माएँ दिवंगत होती हैं, उनके निमित्त विशेष वैदिक कर्मकाण्ड के साथ जलांजलि दी गयी। शांतिकुंज स्थित संस्कार प्रकोष्ठ से मिली जानकारी के अनुसार श्राद्ध पक्ष में शांतिकुंज के अंतेवासी कार्यकर्त्ताओं के अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उप्र, मप्र, बिहार, राजस्थान, तेलगंाना, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित देशभर से आये श्रद्धालुओं ने अपने-अपने पितरों को श्रद्धांजलि दी। इसके साथ ही श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की याद में एक-एक पौधा रोपने का संकल्प लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *