नई दिल्ली। बॉलीवुड अभिनेता अनिल कपूर हिंदी सिनेमा में अपने चार दशक के करियर के बाद भी प्रासंगिक बने हुए हैं और इसका श्रेय वह खुद में झांकने और आत्मबोध को देते हैं। अभिनेता ने 1980 में तेलुगु फिल्म ‘वस्मा वरुक्षम’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद कुछ अन्य फिल्में करने के बाद कपूर ‘वो सात दिन’ में नजर आए और यह फिल्म सफल रही। कपूर ने बताया कि शांति खुद में झांकने और आत्मबोध से आती है। जब तक आप में आत्मविश्वास है और खुद के काम पर भरोसा है, तब तक आपको कुछ भी हिला नहीं सकता है। अभिनेता ने कहा कि वह इस दर्शन में विश्वास करते हैं कि कुछ भी स्थायी नहीं है और ज्यादा से ज्यादा अवसर की तलाश में रहते हैं। उनकी हाल ही में आई अनीस बज्मी की फिल्म ‘पागलपंती’ थी।
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