लंदन। पिछली सदी के आखिरी दशक के मुकाबले वर्तमान में ग्रीनलैंड सात गुना तेजी से पिघल रहा है। ध्रुवीय द्वीपों (आइलैंड) पर जलवायु परिवर्तन के खतरों का आकलन करने वाले एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। साथ ही इसमें यह भी बताया गया है कि समुद्र का जलस्तर बढ़ने से इस सदी के अंत तक तटीय क्षेत्रों के डूबने से लगभग चार करोड़ लोग प्रभावित होंगे। यह अध्ययन ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के शोधकर्ताओं ने 50 अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर किया है। इस अध्ययन के लिए शोधार्थियों ने वर्ष 1992 से 2018 के बीच ग्रीनलैंड में बर्फ की चादरों पर आए बदलावों का आकलन किया। इसके लिए 26 अलग-अलग सर्वेक्षणों का सहारा लिया गया। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 11 अलग-अलग सेटेलाइटों के डाटा का भी उपयोग किया, जिसमें बर्फ की चादरों की बदलती मात्रा, प्रवाह और गुरुत्वाकर्षण की माप शामिल थी। नेचर नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि वर्ष 1992 से अब तक ग्रीनलैंड से 3.8 ट्रिलियन टन बर्फ गायब हो चुकी है, जो वैश्विक रूप से समुद्र का स्तर 10.6 मिलीमीटर बढ़ाने के लिए पर्याप्त है। शोधकर्ताओं ने कहा, ‘ पिछली सदी के अंतिम दशक में बर्फ पिघलने की दर प्रतिवर्ष 33 बिलियन टन रही है, जो पिछले दशक में बढ़कर 254 बिलियन टन हो गई। इसका अर्थ है पिछले तीन दशकों में लगभग सात गुना वृद्धि हुई है। अध्ययन में बताया गया है कि वर्ष 2013 में इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आइपीसीसी) ने वैश्विक रूप से 2100 तक समुद्र का स्तर 60 सेंटीमीटर बढ़ने का अनुमान लगाया था, जिससे 36 करोड़ लोगों को सालाना तटीय बाढ़ के खतरे का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं का कहना है समुद्र का स्तर पुराने अनुमानों का धता बताते हुए और तेजी से बढ़ सकता है। जलवायु के परिदृश्यों पर नजर रखने वाले आइपीसीसी का भी अनुमान है कि समुद्र का स्तर पूर्वानुमान से 7 सेंटीमीटर ज्यादा बढ़ सकता है। लीड्स यूनिवर्सिटी के सह-लेखक एंड्रयू शेफर्ड ने कहा, ‘वैश्विक रूप से समुद्र के स्तर में एक सेंटीमीटर वृद्धि का मतलब है कि तटीय क्षेत्रों में रहने वाले 60 लाख लोग इससे प्रभावित होंगे।’ उन्होंने कहा कि मौजूदा रुझान बताते हैं कि ग्रीनलैंड की बर्फ पिघलने से सदी के अंत तक हर साल 10 करोड़ लोगों को बाढ़ के खतरों का सामना करना पड़ेगा। शोधकर्ताओं ने कहा, ‘ यदि हम जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाते तो हो सकता है यह स्थिति और भी विनाशकारी हो जाए।