15 फीसद सिर्फ चीन का कर्ज चुकाने में होगा खर्च

नई दिल्ली। धीरे-धीरे दुनिया को चीन की कर्ज नीति समझ में आने लगी है। हाल ही में चीनी कर्ज को लेकर मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा समय में संसद के स्पीकर मुहम्मद नशीद का चीन के राजदूत से टकराव हो गया। इसको लेकर दोनों देशों के बीच टेंशन बढ़ गई है। मालदीव पर चीन का 3.4 अरब डॉलर का कर्ज। वहीं चीन समर्थक मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुला यामीन के सत्ता से हटने के बाद हिंद महासागर के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस देश में भारत की पकड़ मजबूत हुई है।

कर्ज का जाल
पिछले हफ्ते एक थिंक टैंक की बैठक में बोलते हुए नशीद ने कहा कि चीनी परियोजनाओं की लागत बहुत अधिक है और 2020 के बाद से देश के बजट का 15 फीसद विभिन्न चीन की कंपनियों का बकाया कर्ज चुकाने पर खर्च होगा। उन्होंने काम किया और हमें बिल भेज दिया। यह कर्ज की ब्याज दरों के रूप में नहीं है, बल्कि लागत ही है। उन्होंने हमें अधिक बिल दिया और हमसे वह वसूला जा रहा है। और अब हमें ब्याज दर और मूल राशि चुकानी होगी।

भारत के जीएमआर ग्रुप ने सिनामले सेतु परियोजना (चीन-मालदीव मैत्री पुल) को 7.7 करोड़ डॉलर देने का प्रस्ताव दिया था। जबकि चीन कम्युनिकेशन एंड कॉन्ट्रैक्टिंग कंपनी (सीसीसी) ने ऊंची कीमत पेश की। यामीन सरकार ने ठेका चीन की कंपनी को दे दिया। जिसके कारण मालदीव पर सीसीसीसी का 30 करोड़ डॉलर का कर्ज है।

चीन का जवाब
चीन के राजदूत झांग लिजहोंग का कहना है कि सेतु परियोजना की लागत 20 करोड़ डॉलर थी, जिसका 57.5 फीसद धन चीनी अनुदान सहायता द्वार मुहैया कराया गया था। मालदीव सरकार को केवल 10 करोड़ का भुगतान करना था, जो कि परियोजना लागत का आधा था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *