अपने राज्य की चिंता छोड़, दूसरे राज्य की चिंता कर रहे है, राज्य के मुखिया : जोत सिंह बिष्ट

देहरादून,(देवभूमि जनसंवाद न्यूज़) भारी बरसात के कारण उत्तराखंड पिछले 1 हफ्ते से अनेक अनेक परेशानियों से जूझ रहा है। भूस्खलन, सड़क दुर्घटना, दुर्घटना मृत्यु, बाड़ आना, जल सैलाब से मकानों का गिरना, लोगों का नदियों में टापू पर फसना, ग्लेशियर टूटना, नदियों का जल स्तर बढ़ना, बस्तियों में, सड़को पर जल भराव जैसी खबरें रोज सुनाई दे रही है।
हमारे मुख्यमंत्री जी इन सब घटनाओं पर अपने राज्य की सुध लेने के बजाय जब हिमाचल के मुख्यमंत्री को आपदा में मदद की खबर को प्रचारित करते हैं तो बड़ा आश्चर्य होता है। ऐसा करके मुख्यमंत्री जी क्या संदेश देना चाहते हैं कि उत्तराखंड में कुछ नहीं हुवा है, सब कुछ ठीक ठाक है?
अपने उत्तराखंड में एक सप्ताह में अब तक बरसात में लगभग 2 दर्जन से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई है। पिछले 2 दिन में उत्तराखंड में 17 से अधिक लोग दैवी आपदा में मर गए है जबकि
हिमाचल में 1 सप्ताह में 31 लोगों के मरने की खबर है। मुख्यमंत्री जी को गढ़वाल क्षेत्र में जहां अनेक दुर्घटनाओं की सूचना के साथ लोगों के मरने की घटनाएं घटित हुई है की कोई चिंता नहीं है। धामी जी गढ़वाल के आपदाग्रस्त क्षेत्र का दौरा करने के बजाय हिमाचल की आपदा और देहरादून के आईएसबीटी के जलभराव के प्रति ज्यादा चिंतित है।

हिमाचल के मुख्यमंत्री को मदद का आश्वासन देकर कि यह संदेश दे रहे हैं कि उत्तराखंड में सब कुछ ठीक-ठाक है जबकि उत्तराखंड में हालात हिमाचल जैसे ही है। मुख्यमंत्री जी इस तरह से मीडिया के माध्यम से उत्तराखंड के लोगों के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के बजाए लोगों को गुमराह करके यश बटोरने में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। उत्तराखंड के 13 जिलों में से कई जिलों में औसत से बहुत ज्यादा बारिश हुई है। लोगों के खेत, खलिहान, फसल, मवेशी इस बारिश की चपेट में आए हैं ।उनके बारे में मुख्यमंत्री जी चिंतित नहीं दिखाई दे रहे हैं।सबसे ज्यादा अचंभे की बात यह है कि मुख्यमंत्री जी रोज मीडिया में इस बात का प्रचार करने में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं कि मुख्यमंत्री जी ने कंट्रोल रूम में देर रात निरीक्षण किया। आईएसबीटी का निरीक्षण किया। कुमाऊं का भ्रमण किया लेकिन गढ़वाल की 41 विधानसभा और 7 जिलों की तरफ मुख्यमंत्री जी का ध्यान बिल्कुल नहीं है। वह अपने मंत्रिमंडल के साथियों राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों से काम लेने के बजाय अकेले ही बिना टीम के दौड़ लगाते दिखाई दे रहे हैं।इससे एक संदेश साफ तौर पर जा रहा है कि मुख्यमंत्री जी का किसी पर कोई नियंत्रण नहीं है। उनके मंत्रिमंडल के साथी और अधिकारीगण उनकी बात को अनसुना कर रहे हैं। इसलिए मुख्यमंत्री जी सब जगह खुद ही दौड़ लगा रहे हैं। नेतृत्व का काम अपनी टीम से काम करवाने का होता है जिसमें धामी जी पूरी तरह से असफल साबित हो चुके हैं। उसका खामियाजा उत्तराखंड के बारिश की आपदा से प्रभावित लोग भुगत रहे हैं।

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