
D.NEWS DEHRADUN एनएच-74 मुआवजा घोटाले में आईएएस डॉ. पंकज कुमार पांडे और चंद्रेश कुमार का निलंबन नौकरशाही के लिए बहुत बड़ा सबक भी है। सबक यह कि खुद तो गलत फैसला नहीं ही लेना है और न ही किसी के कहने या दबाव में आकर नियमों का उल्लंघन करना है। अक्सर यह भी देखा गया है कि मंत्री, नेता और अपने आला अफसरों के दबाव में होने वाले कामों में भी कार्रवाई फंदा अफसरों के गले पर ही कसता है।
ऐसे कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं जिनमें अफसरों ने विभागीय मंत्री या किसी बड़े अफसर के दबाव में मातहत अफसरों ने न होने वाले काम भी कर दिए। चूंकि मंत्री, नेता और अफसर लिखित में कोई आदेश नहीं करते, इसलिए उनकी भूमिका कहीं साबित नहीं हो पाती। पिछले कई वर्षों से ये सिलसिला लगातार इसलिए भी चलता रहा कि अब तक किसी सरकार ने इन मामलों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया। प्रतिनियुक्तियां, नियुक्तियां, भूमि आवंटन से जुड़े तमाम नियमविरूद्ध मामले प्रकाश में आने के बाद भी अफसरों को बख्श दिया जाता रहा। ताजा मुआवजा घोटाले में भी अफसरों के साथ-साथ नेताओं की भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं।
इस मामले के दबे रहने के पीछे भी इसी को बड़ी वजह माना जाता रहा है पर, अब तस्वीर कुछ बदली है। एनएच-74 मुआवजा घोटाले में सरकार ने सरकार ने एसआईटी की जांच में भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने के आधार पर दो आईएएस को सस्पेंड कर दिया है। यानि आगे भी किसी मामले में कोई अधिकारी किसी मामले में दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई तय है। लिहाजा नौकरशाही के लिए साफ संदेश है कि खुद तो गलत नहीं ही करना है। किसी के दबाव में आकर भी ऐसा निर्णय नहीं लेना, जो कानून के मुताबिक न हो।
कुछ फैसले, जिन्होंने की नौकरशाही की किरकिरी
प्रतिनियुक्तियां
कांग्रेस सरकार में शिक्षा विभाग के शिक्षकों की कृषि विभाग में की गई प्रतिनियुक्तियां इसका उदाहरण है। अधिकारियों ने जानते बूझते हुए भी नियमों को ताक पर रखते हुए कुछ रसूखदार शिक्षक और अफसरों की एकतरफा प्रतिनियुक्तियां कर दी थी। बाद में उन्हें निरस्त भी करना पड़ा।
नियुक्तियां
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान उपनल के जरिए बडे़ पैमाने पर अकुशल लोगों की नियुक्तियां कर दी गई थी। उपनल मुख्यालय तक नए-नए पद सृजित कर नियुक्तियां कर दी गई। अभी हाल में उपनल ने गैर सैनिक पृष्ठभूमि के लोगों की नियुक्ति पर रोक के बावजूद कुछ रसूखदारों के रिश्तेदारों को नियुक्तियां कर डाली थी। दबाव बनाकर ये नियुक्तियां कराने वाले लोगों पर तो आंच नहीं आई लेकिन कड़वे घूंट उपनल के अफसरों को ही पीने पड़े।
भूमि आवंटन
टिहरी बांध विस्थापितों के लिए ऋषिकेश के आमबाग में भूमि आवंटन का मामला भी कुछ इसी प्रकार का है। इसमें कुछ प्रभावी नेताओं के रिश्तेदार और उनके करीबियों को भी कौडियों के दाम पर प्लॉट मिल गए थे। इस मामले में भी नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि अफसरों के करियर पर हमेशा के लिए दाग लग गया।