‘आरएसएस’ का चुनाव में नियंत्रण बना ‘भाजपा’ की जीत का कारण

D.NEWS DEHRADUN : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चुनाव में नियंत्रण के चलते भाजपा कार्यकर्ताओं की सक्रियता ने मेयर प्रत्याशी को जीत दिलाई। प्रत्याशी के पति का राजनीति से जुड़ाव नहीं होने के साथ ही मेयर की सक्रियता ने मतदाताओं को उनके पक्ष में मतदान को प्रेरित किया। निगम में शामिल ग्रामीण क्षेत्र के बीस नये वार्डों ने जीत के अंतर को भाजपा के पक्ष में किया।  मेयर प्रत्याशी अनिता ममगाईं के नाम की घोषणा के बाद भाजपा में शुरुआती दौर में घमासान मच गया। बागी होकर चारू माथुर कोठारी एवं कुसुम कंडवाल चुनाव मैदान में कूद गए। इससे प्रदेश नेतृत्व सकते में आ गया। हरकत में आये प्रदेश नेतृत्व ने रूठे बागियों को मनाने का सिलसिला शुरू किया। जिसमें उन्हें कामयाबी भी मिली। भाजपा किसी भी सूरत में सीट नहीं गंवाना चाहती थी। इस लिए आरएसएस को चुनाव की कमान सौंपी गई। कार्यकर्ताओं को चुनावी कार्य की जिम्मेदारी देने के साथ बूथ स्तर तक संघ कार्यकर्ता तैनात किए गए। संघ कार्यकर्ताटों की देखरेख में शहर में निकले व्यवस्थित जुलूस ने भी मतदाताओं को प्रभावित किया। आरएसएस के साथ नगर निगम ऋषिकेश के चुनाव प्रभारी एवं प्रदेश उपाध्यक्ष विनय रोहिला, चुनाव संयोजक कृष्ण कुमार सिंघल के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता भी प्रतिद्वंद्वी मेयर प्रत्याशियों की गतिविधियों पर नजर रखे थे। बापूग्राम में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं चन्द्रभागा में भोजपुरी लोकगायक एवं सांसद मनोज तिवारी की जनसभा ने भी भाजपा के वोट प्रतिशत में इजाफा किया। बीते 15 साल में चन्द्रभागा-चन्द्रेश्वरनगर से भाजपा को अच्छे वोट मिले।

हारने वाले प्रत्याशियों की यह रह गई कमियां 
राजनीति में सक्रिय ज्योति सजवाण की पत्नी लक्ष्मी सजवाण एवं निर्दलीय प्रत्याशी दीप शर्मा की पत्नी वीना दीप शर्मा मेयर की सीट पर चुनाव लड़ रही थी। तीन बार लगातार नगर पालिका के अध्यक्ष रहे दीप शर्मा को इस बार समर्थकों की कमी से भी जूझना पड़ा। पत्नी को मेयर का चुनाव लड़वाने के साथ वह स्वयं भी पार्षद का चुनाव लड़ बैठे। जिसमें भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। पालिका में घोटाले को लेकर लगातार उठ रहे सवाल के साथ बीते15 साल में शहर में ट्रंचिंग ग्राउंड, पार्किंग की समस्या ने भी मतदाताओं को प्रभावित किया।

अतिक्रमण का चुनाव पर यह रहा इंपेक्ट
इस बार के नगर निगम चुनाव में खास बात यह है कि जिन इलाकों में प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया, वहां से भी भाजपा को अधिक वोट पड़े।

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