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इस साल चमकी उत्तराखंड की किस्मत

इस साल चमकी उत्तराखंड की किस्मत, जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड के लिए सचमुच अठारवां साल अहम और सकारात्मक साबित हो सकता है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो आगे उत्तराखंड को बहुत फायदा मिलेगा।

D.NEWS DEHRADUN: कैशौर्य से गुजर जवानी की दहलीज पर खड़े उत्तराखंड के लिए सचमुच अठारवां साल अहम और सकारात्मक मोड़ देने वाला साबित हो सकता है। गठन के बाद राज्य में पहली दफा की गई पूंजी निवेश की पहल के जिस तरह के नतीजे दो दिनी इन्वेस्टर्स समिट के बाद सामने आए हैं, उससे तो ऐसा ही लगता है। निर्धारित लक्ष्य से तीन गुना निवेश जुटाने में कामयाब त्रिवेंद्र सरकार इसके लिए खुद की पीठ जरूर थपथपा सकती है लेकिन चुनौती अब पेश आने वाली है।एक लाख 24 हजार करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारना, निवेश जुटाने से कहीं ज्यादा मशक्कत का काम है और यही सरकार की असली अग्निपरीक्षा होगी। यदि इन प्रस्तावों को मुकाम मिला, तो राज्य में नौकरियों की बहार आना तय है। पिछली सरकारों ने नहीं की ईमानदार पहल उत्तराखंड आगामी नौ नवंबर को अपनी स्थापना के अठारह साल पूरे कर उन्नीसवें साल में जवानी की दहलीज छूने जा रहा है।

इस अवधि में राज्य में औद्योगिक विकास अपेक्षा के अनुरूप गति नहीं पकड़ पाया। अगर राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के पांच साल के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए, तो सच यह है कि कभी इस दिशा में किसी सरकार ने ईमानदार पहल करने की कोशिश भी नहीं की। यह बात दीगर है कि इसी दौरान केंद्र में स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने उत्तराखंड को विशेष पैकेज से नवाजा था।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के लिहाज से राज्य जरूर आगे बढ़ा मगर बड़े उद्योग मैदानी जिलों तक ही सीमित रहे। राज्य में औद्योगिक विकास के आंकड़े स्वयं इसकी पुष्टि करते हैं। विषम भूगोल ने रोकी उद्योगों की राह राज्य गठन के वक्त उत्तराखंड में केवल 1119 छोटी औद्योगिक इकाइयां स्थापित थीं, जबकि बड़ी या भारी औद्योगिक इकाइयों की संख्या महज 38 ही थी।
दरअसल, उत्तराखंड विषम भूगोल वाला राज्य है। राज्य के कुल भूभाग का 71 फीसद से ज्यादा वनक्षेत्र है। पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यावरणीय मानकों के कारण भारी उद्योगों की स्थापना मुमकिन ही नहीं। इसी वजह से बड़े उद्योग केवल देहरादून, हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर जैसे मैदानी जिलों और एक-दो पर्वतीय जिलों के मैदानी हिस्सों में ही लग पाए। इस भूगोल के कारण राज्य में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को अपेक्षाकृत ज्यादा प्रोत्साहन मिला। निवेशकों को लुभाने के लिए अहम फैसले राज्य गठन के बाद से अब तक उत्तराखंड में बड़े उद्योगों का आंकड़ा केवल 255 तक ही पहुंच पाया, जबकि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की संख्या 44060 तक पहुंच गई।
एमएसएमई सेक्टर में उद्योगों की बेहतर संभावनाओं को देखते हुए मौजूदा सरकार ने इसी पर फोकस करने का फैसला किया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि पर्यटन, वेलनेस, फिल्म शूटिंग, एडवेंचर स्पो‌र्ट्स, आइटी, सौर ऊर्जा, खाद्य प्रसंस्करण, जैविक खेती, डेयरी, हेल्थ केयर, इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों को तरजीह दी गई। निवेशकों को लुभाने के लिए सरकार ने हाल ही में विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित दस नीतियों में संशोधन किया। इससे निवेशकों के लिए राह आसान हुई, जिसकी परिणति राज्य में एक लाख 24 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों के रूप में सामने आई है।
आगाज को अंजाम तक पहुंचाने की चुनौती राज्य सरकार के लिए यह सुखद है क्योंकि शुरुआत में केवल 40 हजार करोड़ के निवेश की उम्मीद बांधी गई थी। साफ है कि सरकार ने औद्योगिकीकरण की दिशा में आगाज तो उम्मीदों से बेहतर किया लेकिन असल चुनौती इसे अंजाम तक पहुंचाने की है। यानी, जिस बड़ी धनराशि को राज्य में निवेश करने के लिए उद्यमियों ने सरकार को भरोसा दिया है, करार पर हस्ताक्षर किए हैं, उसे धरातल पर भी उतारा जाए।
यह भी ध्यान रखना होगा कि राज्य में उद्यमियों को अब तक हासिल दोस्ताना माहौल भविष्य में और ज्यादा बेहतर बने। उद्योगों के लिए भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भूमि हस्तांतरण प्रक्रिया में दिक्कतें पेश न आएं। अलबत्ता, यह भी देखना होगा कि करार के मुताबिक उद्यमी राज्य में पैसा लगाएं भी, केवल रियायतों का लाभ लेने भर की मंशा न दिखाई जाए। निवेशकों ने दिखाई रुचि, बढेंगे रोजगार जिस हिसाब से निवेशकों ने राज्य में निवेश को लेकर रुचि दिखाई है, उसके आकार लेने पर उत्तराखंड में रोजगार की असीम संभावनाएं पैदा हुई हैं।
राज्य में अभी तक स्थापित सभी प्रकार की औद्योगिक इकाइयों में साढ़े तीन लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। जिस हिसाब से इस इनवेस्टर्स समिट में निवेश प्रस्ताव आए हैं, यदि वे पूरी तरह फलीभूत हुए तो प्रदेश में साढ़े तीन लाख से अधिक नए रोजगार की संभावना है। जानकारों का कहना है कि यदि कुल प्रस्तावों में से आधे का निवेश भी यहां हुआ तो भी नौकरियों की बहार आनी तय है। इससे राज्य में पलायन को रोकने में खासी मदद मिलेगी।

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