दरअसल, आयुर्वेद विवि ने 22 जुलाई 2017 को विभिन्न पदों पर भर्तियां निकाली थी। इनमें से कुछ पदों पर तो भर्ती हो गई थी लेकिन बाकी का अता-पता नहीं है। स्टाफ नर्स के भी 35 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ था। अभ्यर्थियों ने आवेदन भी कर दिए थे। इसके बाद से इस भर्ती का कुछ अता-पता नहीं है। अभ्यर्थियों का कहना है कि यहां केवल सेटिंग से ही नौकरी मिल रही है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द प्रक्रिया शुरू न की गई तो वह दस अक्तूबर से विवि में आंदोलन शुरू कर देंगे।
प्रोफेसर के पदों को दोबारा जारी होगा विज्ञापन
आयुर्वेद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के 15 पदों पर भर्ती के लिए भी 22 जुलाई 2017 को विज्ञापन प्रकाशित हुआ था। इन नियुक्तियों में भी कुछ तकनीकी दिक्कतें थीं। विवि ने तय किया है कि अब इन पदों पर भर्ती के लिए दोबारा विज्ञापन प्रकाशित किया जाएगा।
कई भर्तियों में कुछ तकनीकी दिक्कतें थीं। इन सभी समस्याओं को दूर किया जा रहा है। रुकी हुई भर्तियां जल्द ही शुरू की जाएंगी।
– प्रो. अभिमन्यु कुमार, कुलपति, आयुर्वेद विवि
…आखिर आयुर्वेद विवि के प्रभारी कुलसचिव ने अब तक क्यों नहीं ज्वाइन किया
आखिर आयुर्वेद विवि के प्रभारी कुलसचिव का तैनाती आदेश पाने वाले मो. नासिर ने अब तक ज्वाइन क्यों नहीं किया ? यह सवाल इन दिनों विवि और सचिवालय में कई लोगों की जुबान पर है कि उन्हें इस पद पर ज्वाइनिंग से किसी ने रोका है क्या ? सात सितंबर को अनुसचिव हनुमान प्रसाद तिवारी की ओर से कार्यालय आदेश जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि मो. नासिर अपर कर आयुक्त के साथ ही अविलंब आयुर्वेद विवि कुलसचिव का पदभार ग्रहण करेंगे। एक महीना बीतने को है लेकिन आज तक विवि में प्रभारी कुलसचिव ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया। ज्वाइनिंग के आदेश न निरस्त हुए और न ही किसी और की पोस्टिंग हुई फिर यह विलंब क्यों ? यही वह बिन्दु हैं जो तमाम कयासों को जन्म दे रहा है। आयुर्वेद विवि में अप्रैल माह में मृत्युंजय मिश्रा को कुलसचिव की जिम्मेदारी दी गई थी। विवाद बढ़ा तो उन्हें शासन में अटैच कर दिया गया था। इसके बाद से यहां प्रभारी कुलसचिव की जिम्मेदारी डॉ. राजेश कुमार अदाना देख रहे थे। सवाल उठ रहे थे कि नियम विरुद्ध डॉ. अदाना को जिम्मेदारी दी गई है।
आयुर्वेद विवि की पांच गोपनीय शिकायतें
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में चल रहे भर्ती विवाद के बीच पांच लोगों ने सीएम और राज्यपाल को गोपनीय शिकायत कर दी है। उन्होंने यह शिकायत सीएम की घोषणा के तहत शपथ पत्र के साथ की है। इसमें उन्होंने जांच की मांग की है। नियम के हिसाब से उनकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी। आयुर्वेद विवि में हाल ही में हुई भर्तियों में आयुष मंत्री हरक सिंह रावत, उनके पीआरओ, भाजपा के पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य से रिश्ते सामने आने के बाद शिकायतों का सिलसिला चल पड़ा है। सरकार ने घोषणा की हुई है कि भ्रष्टाचार की कोई भी शिकायत शपथ पत्र के आधार पर करेंगे तो उनकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी। इसी घोषणा के तहत दो दिन में पांच लोगों ने सीएम और राज्यपाल को गोपनीय शिकायतें की हैं। उन्होंने आयुर्वेद विवि की भर्तियों से लेकर टेंडर तक की पूरी जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग रखी है। अब सरकार इस पर क्या फैसला लेगी, यह आने वाले वक्त में पता चलेगा।
वेबसाइट से हटाया विज्ञापन
विवाद पैदा होने के बाद शुक्रवार को आयुर्वेद विवि ने अपनी वेबसाइट से एग्जाम इंचार्ज का विज्ञापन हटा लिया। इसमें भाजपा के आनुषांगिक संगठन के बड़े नेता के भाई की नियुक्ति की आशंका के बाद विवाद पैदा हो गया था। विवि ने इससे पहले चार अक्तूबर को होने वाले साक्षात्कार रद्द कर दिए थे।
15 दिन में सुचारू हो जाएगा विवि का अस्पताल
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय का अस्पताल 15 दिन में सुचारू हो जाएगा। विवि ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। दूसरी ओर विवि ने पहली बार शुक्रवार को तीर्न ई-टेंडर जारी किए। आयुर्वेद विवि में पुलिस ने बृहस्पतिवार को अस्पताल का पूरा सामान जब्त कर लिया था। यह सामान मृत्युंजय मिश्रा व अन्य के खिलाफ चल रहे 65 लाख की खरीद के मुकदमे में बतौर केस प्रॉपर्टी जब्त किया गया था। सामान जाने के बाद अस्पताल वीरान हो गया था। कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार ने बताया कि चूंकि वह सामान विवि का नहीं था। वह तो एक दिन जब्त होना ही था। इसके लिए उन्होंने पहले ही सामान की आपूर्ति प्रक्रिया शुरू कर दी थी। शुक्रवार को अस्पताल में कुछ सामान की आपूर्ति हुई। उन्होंने कहा कि 15 दिन के भीतर पूरा सामान उपलब्ध करा दिया जाएगा ताकि छात्रों को पढ़ाई का नुकसान न हो।