
D.NEWS देहरादून राजधानी देहरादून के साथ ही ऋषिकेश, रुड़की, हरिद्वार, काशीपुर समेत राज्य के 13 शहरों में स्थित उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद की कॉलोनियां व संपत्तियां अब उत्तराखंड आवास एवं विकास परिषद के नियंत्रण में होंगी। इन परिसंपत्तियों के 200 करोड़ से अधिक लागत की होने का अनुमान है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में शुक्रवार को विधानसभा में हुई उत्तराखंड आवास एवं विकास परिषद की बोर्ड बैठक में यह जानकारी दी गई। बताया गया कि इस बारे में उप्र से संपूर्ण ब्योरा मांगा गया है। बैठक में बोर्ड के सुचारू संचालन के लिए 19 कार्मिकों की प्रतिनियुक्ति पर तैनाती का निर्णय भी लिया गया। उत्तराखंड बनने के बाद वर्ष 2003-04 में हुए परिसंपत्तियों के बंटवारे में राज्य को महज एक करोड़ की राशि देकर उप्र आवास विकास परिषद को एकतरफा बंटवारा कर दिया गया था। तब तर्क दिया गया कि उत्तराखंड में परिषद अस्तित्व में ही नहीं है। हालांकि, उत्तराखंड की ओर से इस बंटवारे पर आपत्ति की गई। साथ ही परिसंपत्तियों का आकलन कराया गया तो यह 200 करोड़ से अधिक की निकर्ल। बाद में मामला अदालत तक पहुंचा। अदालत ने उत्तराखंड को इन परिसंपत्तियों को अपने नियंत्रण में लेने के निर्देश दिए। साथ ही उप्र आवास विकास परिषद के जरिये होने वाली रजिस्ट्री आदि पर भी रोक लगा दी गई। इस मामले में दोनों राज्यों के मध्य हुई बैठक में उप्र ने उत्तराखंड में स्थित परिषद की संपत्तियों का ब्योरा देने पर सहमति जताई थी। शुक्रवार को हुई उत्तराखंड आवास एवं विकास परिषद की बोर्ड बैठक में भी राज्य के हिस्से में आने वाली इन परिसंपत्तियों के नियंत्रण एवं नियमन के बारे में चर्चा की गई। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में शहरी विकास मंत्री कौशिक ने बताया कि उप्र को पत्र लिखकर नक्शे सहित संपत्तियों का पूरा ब्योरा मांगा गया है। यही नहीं, परिषद के अब तक के कार्याें की समीक्षा भी की गई। यह भी तय हुआ कि जनपदों में स्थित आवास विकास परिषद की संपत्ति का नियंत्रण एवं नियमन जिला स्तरीय प्राधिकरण सचिव देखेंगे। बैठक में शहरी विकास सचिव आरके सुधांशु, सचिव आवास नितेश झा, अपर सचिव बीएस मनराल, उपाध्यक्ष एमडीडीए आशीष श्रीवास्तव, अपर आयुक्त आवास आशीष त्रिपाठी आदि मौजूद थे। समय पर पूरा होगा लक्ष्य कैबिनेट मंत्री ने कहा कि राज्य में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1.04 लाख घर बनाने का लक्ष्य समय पर पूरा कर लिया जाएगा। मलिन बस्तियों के संबंध में उन्होंने कहा कि तीन साल में नोटिफिकेशन समेत अन्य प्रक्रियाएं पूरी कर ली जाएंगी। इनके लिए प्रभावी रास्ता निकाला जाएगा।
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