
देहरादून: (देवभूमि जनसंवाद न्यूज़) लखीमपुर खीरी में हुई घटना का असर उत्तराखंड की राजनीति पर साफ नजर आने लगा है। मुख्य विपक्षी कांग्रेस इस मुद्दे को अब चुनावी मुद्दा भी बना रही है। जिसको लेकर कांग्रेस चलो सीतापुर, बाजपुर, किच्छा, सीतापुर लोकतंत्र बचाओ मार्च निकालने जा रही है। इसके लिए कांग्रेस की और से तैयारियां हो गई है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के नेतृत्व में कांग्रेस सीतापुर मार्च निकालेगी। चुनावी साल में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई घटना का असर पड़ोसी राज्य उत्तराखंड की राजनीति पर भी दिखने लगा है। किसानों के समर्थन में पहले से ही कांग्रेस केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों का जमकर विरोध कर रही है। इसके लिए उत्तराखंड कांग्रेस भी तराई क्षेत्र में पहले परिवर्तन यात्रा के दौरान जमकर मोदी सरकार पर हमला कर चुकी है। इसी बीच लखीमपुर खीरी में किसानों के साथ हुई घटना ने कांग्रेस की रणनीति भी बदल दी है। कांग्रेस अब इस प्रकरण को चुनावी राज्यों उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में जोर-शोर से उठा रही है। घटना के विरोध में पंजाब और उत्तराखंड में भी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं हरीश रावत और नवजोत सिंह सिद्धू ने गिरफ्तारी दी थी। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में कांग्रेसियों ने विरोध प्रदर्शन और आंदोलन किया। जो कि देहरादून से लेकर पहाड़ी और मैदानी जिलों में जमकर बवाल हुआ। बाद में उत्तराखंड में हरीश रावत और गणेश गोदियाल ने मौन उपवास भी रखा। सरकार से रखी 4 मांगे घटना को लेकर 7 अक्टूबर को उत्तराखंड कांग्रेस ने बाजपुर से किच्छा होते हुए सीतापुर तक लोकतंत्र बचाओ मार्च निकालने जा रहे हैं। इसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व सीएम हरीश रावत समेत कांग्रेस के हजारों समर्थक जुटने का दावा किया जा रहा है। कांग्रेस ने सरकार से 4 प्रमुख मांगों को रखा है। जिसमें पहली मांग तीन किसान विरोधी काले कानूनों को समाप्त करने की है। इसके अलावा किसानों के हत्यारों को गिरफ्तार करने और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री को बर्खास्त करने की भी कांग्रेस मांग कर रहा है। कांग्रेस ने प्रियंका गांधी र लगाये गए झूठे मामले वापस लेने और रिहा कराने के लिए भी मार्च निकालने का ऐलान किया है। इस मार्च को लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी कार्यकर्ताओं को अधिक से अधिक संख्या में जुटने का आह्रवान किया है। जिससे मार्च के दौरान कांग्रेसी अपनी शक्ति प्रदर्शन भी कर सकें। चुनाव में बनेगा मुद्दा उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस किसानों के मुद्दे को लेकर चुनावी मैदान में जाने की रणनीति बना चुकी है। पूरे देश में मोदी सरकार के खिलाफ किसानों का आंदोलन चल रहा है। जिससे उत्तराखंड भी अछूता नहीं है। उत्तराखंड में तराई जिलों में किसानों की संख्या सबसे ज्यादा है। जिसका हरिद्वार और यूएसनगर जिलों में व्यापक असर दिख रहा है। कांग्रेस ने तराई में अपनी परिवर्तन यात्रा निकालकर किसानों को एकजुट होकर मोदी सरकार के खिलाफ लड़ने का आहृवान किया है। इस बीच यूपी में हुई किसानों की मौत का मामला चुनावी साल में विपक्षी दलों के लिए बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है। केन्द्र, यूपी और उत्तराखंड तीनों जगह भाजपा की सरकार है। ऐसे में किसानों के मसले पर कांग्रेस तीनों सरकारों को घेरने में जुटी है। इस मामले पर भाजपा और केन्द्र, यूपी और उत्तराखंड सरकारें कुछ ज्यादा बोलने से बच रही हैं। जो कि चुनावी साल में बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है।