उत्तराखंड में पॉलीथिन पर पूर्ण प्रतिबंध, इस्तेमाल पर होगी कार्रवार्इ

उत्तराखंड में पॉलीथिन पर पूर्ण प्रतिबंध, इस्तेमाल पर होगी कार्रवार्इ

D.NEWS DEHRADUN उत्तराखंड में पॉलीथिन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग गया है। एक अगस्त से पॉलीथिन पर प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। राजधानी समेत तमाम जिलों में पॉलिथीन के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। देहरादून में नगर निगम ने तहसील बाजार, पलटन बाजार, मोती बाजार, झंडा बाजार में चेकिंग अभियान चलाते हुए बड़ी संख्या में पॉलीथिन, डिस्पोजल, प्लास्टिक जब्त किया। नगर आयुक्त ने दुकानदारों, आम नागरिकों से अनुरोध किया कि पॉलिथीन का उपयोग ना करें।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जनता से अपील करते हुए कहा कि एक अगस्त से सरकार ने पॉलीथिन के प्रयोग पर सख्ती से कार्रवाई का निर्णय लिया है। लिहाजा, लोग अपने स्तर पर ही पॉलीथिन से परहेज कर लें। इससे पहले मुख्यमंत्री ने पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर भी 31 जुलाई के बाद प्रदेश में पॉलीथिन पर पूर्ण प्रतिबंध की घोषणा की थी। तब यह कहा गया था कि इस तिथि से एक सप्ताह पहले से प्रदेशभर में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे।

पॉलीथिन पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए वन विभाग व पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों को लेकर एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। यह कवायद अभी धरातल पर नजर नहीं आ रही है। इतना जरूर है कि विभिन्न जिलाधिकारियों ने पॉलीथिन पर प्रभावी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। दूसरी तरफ, इस तैयारी से इतर विभिन्न पर्यटक व सार्वजनिक स्थलों का हाल देखें तो पॉलीथिन का धड़ल्ले से प्रयोग अभी जारी है। वहीं, लंबे समय से पॉलीथिन के खिलाफ सामान्य अभियान भी चलाए जा रहे हैं। यह बात और है कि कवायद अब तक सिर्फ कागजों का पेट भरने तक सीमित रही है।

वहीं, शहर में पॉलिथीन के इस्तेमाल पर कार्रवाई की जिम्मेदारी नगर निगम को दी गई है। इसके साथ ही आदेश दिए गए हैं कि प्लास्टिक-डिस्पोजल और पॉलीथिन का उपयोग होने पर उन्हे जब्त कर लिया जाए। पॉलीथिन मुक्त शहर बनाने के लिए नगर निगम की आठ टीमें अलग-अलग जोन में कार्रवार्इ करेंगी।

डीएमएस एसए मुरुगेशन ने कहा कि पहली बार पॉलिथीन का उपयोग करते हुए पकड़े जाने पर जब्त की कार्रवाई की जाएगी, जिसके बाद जुर्माना तय होगा।

पॉलीथिन हटाओ, जीवन बचाओ 

वहीं, हरिद्वार में पॉलीथिन पर पूर्ण प्रतिबंध के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जिलाधिकारी के निर्देश पर जीजीआइसी ज्वालापुर में बैठक की गर्इ। जिसेक बाद कॉलेज की छात्राओं ने रैली निकाली। हाथ में पॉलीथिन हटाओ जीवन बचाओ, पॉलीथिन को मार भगाना है यही हमारा नारा है से लोगों को प्रेरित किया। दुकानों पर जाकर छात्राओं ने दुकानदारों से पॉलीथिन में सामग्री का विक्रय न करने को अभियान के तहत हस्ताक्षर कराया।

प्लास्टिक पर एनजीटी-हाई कोर्ट के आदेश भी बेअसर 

पॉलीथिन पर एक अगस्त से प्रतिबंध पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने करीब दो माह पहले घोषणा की। यह घोषणा भी बुधवार से प्रदेश में लागू हो जाएगी। इसका असर कितना हो पाता है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन ऐसी कवायद को लेकर प्रदेश के अफसरों का रिकॉर्ड कुछ अच्छा नहीं रहा है। आपको याद दिला दें कि प्लास्टिक के कैरीबैग समेत विभिन्न उत्पाद पर रोक के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल व उत्तराखंड हाईकोर्ट पहले ही आदेश जारी कर चुका था। यह भी आपको पता ही है कि आदेश के अनुपालन में अब तक क्या किया गया है।

एमसी मेहता बनाम भारत सरकार में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 10 दिसंबर 2015 को सभी तरह के प्लास्टिक कैरी बैग, प्लेट, गिलास, चम्मच आदि को एक फरवरी से प्रतिबंधित कर दिया था। राज्य सरकार को आदेश जारी किए गए थे कि वह कपड़ा मंत्रालय से संपर्क कर इसकी जगह जूट बैग, पेपर ग्लास आदि की व्यवस्था कर लें। साथ ही कपड़ा मंत्रालय को भी 15 दिन के भीतर प्लास्टिक के विकल्प राज्य सरकार को सुझाने के लिए कहा था। इस आदेश के बाद ललित पिंगलानी बनाम राज्य सरकार में हाई कोर्ट ने जनवरी 2017 से प्लास्टिक के बैग आदि को प्रतिबंधित करने को कहा था।

मुख्य सचिव ने जारी किए थे आदेश 

हाई कोर्ट के आदेश के क्रम में मुख्य सचिव ने आदेश जारी कर प्लास्टिक बैग, गिलास आदि के प्रयोग पर 5000 रुपये जुर्माना लगाने के आदेश दिए थे। नगरीय क्षेत्रों में इसके अनुपालन की जिम्मेदारी नगर निकायों, ग्रामीण क्षेत्रों में जिला पंचायत व वन क्षेत्रों में प्रभागीय वनाधिकारियों को दी गई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *