नैनीताल बाघों के अवैध शिकार के मामले में हाई कोर्ट मुख्य सचिव को 24 घंटे में जवाब दखिल करने के निर्देश दिए। साथ ही यह पूछा कि इस मामले में क्या कदम उठाए गए हैं।
हाई कोर्ट ने राज्य में बाघों के अवैध शिकार मामले में सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य सचिव को 24 घंटे में शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा है कि कॉर्बेट नेशनल पार्क, राजाजी नेशनल पार्क, तराई भाबर में बाघों का अवैध शिकार रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
कोर्ट ने यह भी पूछा है कि बावरिया, गोपी समेत अन्य गिरोहों पर अब तक क्या कार्रवाई की गई है। कितने मामले अवैध शिकार के दर्ज हैं और उन पर क्या कार्रवाई की गई है।
यहां बता दें कि हिमालयन युवा ग्रामीण समिति रामनगर ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि कॉर्बेट नेशनल पार्क, राजाजी पार्क समेत तराई भाबर में गूर्जरों के साथ मिलकर शिकारी बाघों का अवैध शिकार कर रहे हैं, जिससे राष्ट्रीय पशु के अस्तित्व पर संकट आ गया है।
राज्य सभा सदस्य अनिल बलूनी की ओर से भी पूर्व में हिमाद्री जन विकास समिति की जनहित याचिका में एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया था, जिसमें उन्होंने कॉर्बेट पार्क से वन गूर्जरों को हटाने की मांग की थी।
सांसद बलूनी ने पत्र में यह भी कहा था कि गूर्जरों के खिलाफ वन अधिनियम के तहत मामले जरूर दर्ज होते हैं, लेकिन रिहा होकर फिर से इसी कारोबार में लग जाते हैं।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद मुख्य सचिव को जवाब दाखिल करने के आदेश पारित किए।
कोर्ट के सवाल
– राजाजी नेशनल पार्क, कॉर्बेट पार्क सहित रिजर्व फॉरेस्ट में कितने वन गूर्जर परिवार रह रहे हैं, कितने समय में इनको यहां से विस्थापित किया जाएगा।
– कॉर्बेट सहित राज्य के अन्य पार्को में कितनी जल्दी स्पेशल टाइगर फोर्स बाघों को बचाने का कार्य शुरू कर देगी।
– वन्य जीव अधिनियम के अंतर्गत कितने केस दर्ज किए गए और कितने निस्तारित हुए कितने विचाराधीन हैं, इसका वर्षवार ब्योरा दिया जाए।
– वन्य जीव तस्कर गोपी, बालको बाबरी और गामा गैंग को नेशनल पार्को से हटाने के लिए क्या कदम अब तक उठाए गए हैं।
-रेलवे लाइनों व बिजली के करंट से मरने वाले बाघों के संबंध में क्या कोई नीति सरकार ने बनाई है।
– वन भूमि पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ अब तक कितने मुकदमे दर्ज हुए हैं।
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