देहरादून, (देवभूमि जनसंवाद न्यूज़) उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव पर चल रही रार थम नहीं रही है। विपक्षी दलों के साथ ही कोर्ट ने भी अब सरकार से निकाय चुनाव में हो रही देरी पर जवाब मांगा है। दअरसल नैनीताल हाईकोर्ट में उत्तराखंड सरकार और राज्य चुनाव आयोग की ओर से अब तक निकाय चुनाव का कार्यक्रम घोषित नहीं किए जाने के मामले में सुनवाई हुई। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई की इस दौरान वह सरकार के जवाब से असंतुष्ट दिखे..वहीं खंडपीठ ने शहरी विकास सचिव को नौ जनवरी को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि जसपुर निवासी अनीस ने जनहित याचिका कोर्ट में दायर की है जिसमें उन्होने कहा है कि जसपुर नगर पालिका सहित प्रदेश की नगर पालिकाओं का कार्यकाल दो दिसंबर को समाप्त हो गया है पर सरकार ने अब तक इसकी चुनावी घोषणा तक नहीं की। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने किशन सिंह तोमर बनाम केंद्र सरकार मामले में निर्णय देते हुए साफ कहा है कि पालिकाओं के पांच साल के कार्यकाल समाप्त होने से छह माह पहले चुनावी कार्यक्रम घोषित हो जाना चाहिए ताकि नए बोर्ड का गठन तय समय पर हो सके लेकिन सरकार ने अब तक चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं किया है। वहीं विपक्ष का तर्क है कि सत्तापक्ष को निकाय चुनाव में हार का डर है और लोकसभा चुनाव से पहले सत्तापक्ष हार को जोखिम को स्वीकार नहीं करना चाहता यही वजह है कि सरकार निकाय चुनाव से पीछे हट रही है। वहीं सत्तापक्ष ने विपक्ष के इन सभी आरोपों का खंडन करते हुए निकाय चुनाव की प्रक्रिया को गतिमान बताया है….अब भले ही अभी राज्य में निकाय चुनाव नहीं हो रहे हों लेकिन सत्तापक्ष ने लोकसभा चुनाव के लिए अभी से बिसात बिछानी शुरू कर दी है। काशीपुर में हुई बीजेपी कार्यसमिति की बैठक के बाद बीजेपी संयुक्त मोर्चा पदाधिकारी की बैठक हुई जिसमें राज्य की पांचों लोकसभा सीटों को भारी बहुमत के साथ जीतने की रणनीति पर मंथन हुआ सवाल ये है कि आखिर क्यों सरकार निकाय चुनाव कराने से बच रही है