देहरादून, (देवभूमि जनसंवाद न्यूज़) उत्तर प्रदेश, 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण केस में प्रयागराज की MP-MLA कोर्ट मंगलवार को फैसला सुना सकती है। इस मामले में बाहुबली अतीक अहमद, उसका भाई अशरफ समेत 11 आरोपी थे, इसमें एक की मौत हो चुकी है। अतीक को सोमवार शाम को अहमदाबाद की साबरमती जेल से और उसके भाई अशरफ को बरेली जेल से प्रयागराज लाया गया था। दोनों को नैनी सेंट्रल जेल में हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है।
अतीक और अशरफ को बेहद कड़ी सुरक्षा में 10 किमी दूर कोर्ट ले जाया जाएगा। इसमें 15 से 20 मिनट लग सकते हैं। पुलिस वैन जेल के गेट पर आ चुकी है। वैन में CCTV कैमरे लगाए गए हैं। सुरक्षा के लिए 300 से ज्यादा जवान कोर्ट तक साथ जाएंगे। जेल के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। ACP करछना अजीत सिंह चौहान ने बताया कि कोर्ट 12:30 बजे सुनवाई करेगा।
सूत्रों के मुताबिक, दोनों को अलग-अलग वैन से अलग-अलग रास्ते से कोर्ट ले जाया जाएगा। हालांकि, पुलिस ने इस बारे में कोई ऑफिशियल डिटेल नहीं दी है। पुलिस ने जेल के मुख्य गेट के आसपास बैरिकेडिंग लगा दी है। जेल में बंदियों से मुलाकात बंद है।
अतीक पर 100 से ज्यादा केस, आज पहले केस में सजा मिल सकती है
अतीक अहमद का 20 साल तक प्रयागराज समेत आसपास के 8 जिलों में 20 साल तक आतंक रहा। यूपी पुलिस के डोजियर के अनुसार, अतीक और उसके गैंग IS- 227 के खिलाफ 101 मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन कोर्ट में 50 मामले चल रहे हैं। इनमें NSA, गैंगस्टर और गुंडा एक्ट के डेढ़ दर्जन से अधिक मुकदमे हैं। अतीक पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था। इन 20 सासालों हत्या, लूट, रंगदारी अपहरण के न जाने कितने मुकदमे उसके खिलाफ दर्ज होते रहे। मुकदमों के साथ ही उसका राजनीतिक कद भी बढ़ता रहा।
सबसे पहले उमेश पाल अपहरण केस को पढ़ते हैं…
अतीक अहमद और उमेश पाल के बीच दुश्मनी 18 साल पुरानी है। इसकी शुरुआत 25 जनवरी, 2005 में बसपा विधायक राजू पाल के मर्डर के साथ हुई थी। उमेश पाल राजू पाल मर्डर केस का चश्मदीद गवाह था। अतीक अहमद ने उमेश को कई बार फोन कर बयान न देने और केस से हटने को कहा था। ऐसा न करने पर जान से मारने की धमकी दी।
उमेश पाल नहीं माना तो 28 फरवरी, 2006 को उसका अपहरण करा लिया। उसे रातभर मारा गया। बिजली के शॉक दिए गए। मनमाफिक गवाही देने के लिए टार्चर किया गया।
1 मार्च, 2006 को उमेश पाल ने अतीक के पक्ष में गवाही दी। उस समय सपा की सरकार थी। उमेश अपनी और परिवार की जान की रक्षा के लिए सालभर चुप रहा। 2007 में विधानसभा चुनाव हुए और सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। मायावती की नेतृत्व वाली बसपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी।
राजू पाल की हत्या से अतीक के खिलाफ मायावती ने कार्रवाई की। चकिया स्थित उसका दफ्तर तुड़वा दिया। उमेश पाल को लखनऊ बुलवाया और हिम्मत दी। उमेश पाल ने एक साल बाद 5 जुलाई, 2007 में अतीक अहमद उसके भाई अशरफ समेत 10 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई।
32 दिन पहले प्रयागराज में 24 फरवरी को उमेश पाल और उनके 2 गनर की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड को 44 सेकेंड में अंजाम दिया था।