
देहरादून: डीआरडीओ की ओर से आईडीपीएल मैदान में बने पांच सौ बेड के अस्थायी कोविड अस्पताल का शुभारंभ प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत बुधवार को करेंगे। इस कार्यक्रम में वर्चुअल शामिल होने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को भी निमंत्रण भेजा गया है।
वहीं बुधवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने श्रीनगर में राजकीय मेडिकल कॉलेज के बेस अस्पताल में 30 आईसीयू बेड का ऑनलाइन लोकार्पण भी किया। इस मौके पर उत्तराखंड सरकार के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत अस्पताल में मौजूद रहे। आईसीयू की लागत 9 करोड़ 50 लाख 47 हजार रुपये हैl
मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि आईडीपीएल परिसर में डीआरडीओ की ओर से बनाया गया कोविड-19 अस्पताल बहुत कम समय में बनकर तैयार हुआ है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का आभार व्यक्त करते हुए डीआरडीओ के अधिकारियों और कर्मचारियों की प्रशंसा की। कहा बुधवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री इसका शुभारंभ करेंगे।
राहत! अस्पतालों में खाली होने लगे आईसीयू, ऑक्सीजनयुक्त बेड
कोरोना संक्रमित मरीजों और तीमारदारों को अब आईसीयू बेड और ऑक्सीजनयुक्त बेड के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों में बहुत अधिक जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी। कारण कि राजधानी देहरादून के सरकारी और निजी अस्पतालों में अब आईसीयू और ऑक्सीजनयुक्त बेड खाली होने लगे हैं।
दून अस्पताल के उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एनएस खत्री ने बताया कि कोरोना संक्रमित मरीजों का ग्राफ गिरने के साथ ही अस्पताल में बेड खाली होने लगे हैं। अभी अस्पताल में 100 ऑक्सीजनयुक्त बेड खाली हैं, लेकिन अभी आईसीयू बेड खाली नहीं हैं।
सहारनपुर, हरिद्वार, ऋषिकेश के अलावा पर्वतीय जिलों के बड़ी संख्या में गंभीर मरीजों के अस्पताल पहुंचने की वजह से आईसीयू बेड की अभी थोड़ी दिक्कत है। जिस तरीके से मरीजों का ग्राफ तेजी से गिर रहा है, आने वाले दिनों में आईसीयू बेड भी खाली हो जाएंगे।
आरोग्यधाम अस्पताल के निदेशक व वरिष्ठ गैस्ट्रोसर्जन डॉ. विपुल कंडवाल ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर का असर तेजी से कम हो रहा है। गंभीर मरीजों की संख्या में भी तेजी से कमी आई है। ऐसे में अस्पताल में आईसीयू के साथ ही ऑक्सीजनयुक्त बेड काफी संख्या में खाली हो गए हैं।
बता दें कि पिछले दिनों जब कोरोना संक्रमण पीक पर था तब तमाम अस्पतालों में आईसीयू और ऑक्सीजनयुक्त बेड की किल्लत हो गई थी। स्थिति यह थी कि मरीजों और तीमारदारों को एक-एक बेड के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी।