केवि की प्रधानाचार्य ने रखा अपना पक्ष किशोरी के उत्पीड़न के मामले में

D.NEWS DEHRADUN : किशोरी के उत्पीड़न के आरोपों से घिरीं केवि ओएनजीसी की प्रधानाचार्य अंशुम शर्मा ने मंगलवार को  अपना पक्ष बताया।

उन्होंने बताया कि किशोरी उनके पास तकरीबन तीन महीने ही रही। बताया कि किशोरी उनके पास मई (मध्य) 2017 में आई थी। उसे केवि सर्वे ऑफ इंडिया की खेल अध्यापक रश्मि बिष्ट लेकर आई थीं।

रश्मि ने कहा था कि इस लड़की को यहां ओपन बोर्ड में पढ़ाना है। जून में किशोरी की दादी की मौत हो गई तो वह अपने घर जोशीमठ चली गई। वहां से वह जून (अंत) 2017 में फिर उनके पास आ गई। इस दौरान संदिग्ध गतिविधियों को लेकर कभी कभार उसे डांट फटकार भी लगाई।

पड़ोसियों ने भी लड़की की शिकायत

अंशुम शर्मा ने बताया कि लड़की को सोने के लिए घर की ऊपरी मंजिल पर कमरा दिया हुआ था, मगर वह ज्यादातर समय बाहर खड़ी रहती थी। इसको लेकर पड़ोसियों ने भी शिकायत की थी।

अंशुम का कहना है कि वे कभी जोशीमठ नहीं गई हैं और न ही कोई रिश्तेदार इस किशोरी को जानता है। जुलाई में वह वापस जोशीमठ चली गई, जहां उसके पिता ने सरकारी विद्यालय में उसका दाखिला करा दिया।

उनका कहना है कि जोशीमठ जाने के लिए भी पैसे उन्होंने ही दिए थे। बकौल अंशुम शर्मा बाल आयोग से उनके पास कोई नोटिस या सूचना नहीं आई है। उन्होंने सारे आरोपों का सिरे से खंडन किया है। साथ ही सभी तथ्यों को उन्होंने पुलिस और बाल आयोग के समक्ष रखने की बात भी कही है।

ये है मामला

पीड़िता के बयान और पत्र के अनुसार प्रधानाचार्य अंशुम शर्मा किशोरी को पढ़ाई और पालन पोषण के लिए देहरादून लाईं थी। लेकिन, उन्होंने न तो उसका दाखिला कराया और न ही घर पर उसे पढ़ाया।

आरोप है कि उन्होंने उससे तमाम बातों को लेकर मारपीट की और पति को लेकर लांछन भी लगाए। इन सब बातों से तंग आकर किशोरी ने एक बार अपने हाथ की नस भी काट ली थी। किशोरी के परिवार में तीन बहनें और एक भाई है। बताया जा रहा है कि उसके पिता अपनी कमाई से सभी बच्चों का लालन पालन करने में भी असमर्थ हैं। इसी बात का झांसा देकर अंशुम शर्मा उसे देहरादून लेकर आई थीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *