गणेश चतुर्थी को चांद देखा तो लग सकते हैं झूठे आरोप। पढ़िए क्यों?

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D.NEWS DEHRADUN शास्त्रों के अनुसार गणेश चतुर्थी की तिथि को चन्द्र दर्शन को निषेध माना गया है। इस दिन चन्द्र दर्शन नहीं करना चाहिए। पंडित प्रेम चंद्र बिंजोला ने बताया कि जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। इस दिन चन्द्र दर्शन करने से भगवान श्री कृष्ण को भी मणि चोरी का कलंक लगा था। उन्होंने बताया कि इस दिन चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति को एक साल तक मिथ्या कलंक लगता है। भगवान श्री कृष्ण को भी चंद्र दर्शन का मिथ्या कलंक लगने के प्रमाण हमारे शास्त्रों में विस्तार से वर्णित हैं। उन्होंने बताया कि अगर भूल से चतुर्थी का चंद्रमा दिख जाय तो ‘श्रीमद् भागवत्’ के 10वें स्कन्ध के 56-57वें अध्याय में दी गई ‘स्यमंतक मणि की चोरी’ की कथा का आदरपूर्वक श्रवण करना चाहिए। माना जाता है कि मानव ही नहीं पूर्णावतार भगवान श्रीकृष्ण भी इस तिथि को चंद्र दर्शन करने के पश्चात मिथ्या कलंक से नहीं बच पाए थे। इसके साथ ही इस दिन गणेश जी को तुलसी दल नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही स्थापना स्थल पर पवित्रता का ध्यान रखना होगा।  चप्पल पहनकर कोई स्थापना स्थल तक न जाए, चमड़े का बेल्ट या पर्स रखकर कोई पूजा न करें आदि।

13 को मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाने वाल हिंदुओ का पवित्र पर्व गणेश चतुर्थी इस बार 13 सितंबर को मनाई जाएगी। हालांकि चतुर्थी तिथि 12 सितंबर को 4 बजकर 8 मिनट से शुरू हो जाएगी लेकिन भगवान गणेश का जन्म मध्यान्ह काल में होने के चलते गणेश चतुर्थी 13 सितंबर को मनाई जाएगी। दस दिन चलने वाले गणेश उत्सव का समापन 23 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के साथ होगा।  आचार्य  राकेश खंडूरी ने बताया कि इस बार गणेश उत्सव 13 से 23 सितंबर तक चलेगा। नक्षत्र, मूहूर्त, व तिथियों के अनुसार इस बार चतुर्थी वाले दिन काफी अच्छे संयोग बन रहे है। उन्होंने बताया कि गणेश भगवान को दिनों में बुधवार तिथियों में चतुर्थी तिथि पसंद है।

इस बार चतुर्थी की तिथि 12 सितबंर बुधवार से शुरू हो रही है। जो कि 13 सितबंर को 2 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। उत्तरखंड के पंचाग के अनुसार 12 सितंबर को भी मूर्ति स्थापना की जा सकती है। आचार्य संतोष खंडूरी ने बताया कि इस गणेश पूजन का शुभ मूहुर्त 11 बजकर 38 मिनट से 2 बजकर 8 मिनट तक रहेगा। मान्यता के अनुसार भगवान गणेश जन्म दोपहर के समय हुआ था।  इसलिए मूर्ति स्थापना और पूजन के लिए दोपहर के समय का महत्व है। चतुर्थी के दिन सुबह-सुबह साधक को उपवास पर रहना चाहिए और दोपहर में गणेशजी की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाकर विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। गणेश चतुर्थी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते है। चतुर्थी की तिथि को चंद्रमा को देखना अशुभ माना जाता है। 12 सितंबर को चंद्रमा के दर्शन न करने की अवधि 4 घंटे 26 मिनट व 13 सितंबर को 11 घंटे 40 मिनट है।

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