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दलित विरोधी सरकार को उखाड़ फेंकने का काम करेगी भीम आर्मी, मायावती मेरी बुआः रावण

दलित विरोधी सरकार को उखाड़ फेंकने का काम करेगी भीम आर्मी, मायावती मेरी बुआः रावण

भीम आर्मी के चंद्रशेखर उर्फ रावण कहा कि उसकी रिहाई कार्यकर्ताओं के संघर्ष का नतीजा है। भीम आर्मी दलित व गरीब विरोधी भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का काम करेगी।

D.NEWS DEHRADUN : लखनऊ । अब भीम आर्मी के चंद्रशेखर उर्फ रावण की रिहाई के बहाने भी भाजपा सरकार दलित एजेंडे पर आगे बढ़ रही है। लेकिन जेल से रिहा होकर घर पहुंचे रावण ने भाजपा सरकार को सीधे निशाने पर रखा और कहा कि भीम आर्मी 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की दलित व गरीब विरोधी भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का काम करेगी। यदि इसके लिए जरूरत पड़ी तो साथियों से मंथन के बाद गठबंधन का सहयोग किया जायेगा।

रिहाई कार्यकर्ताओं के संघर्ष का नतीजा

रावण ने अपनी समयपूर्व रिहाई को कार्यकर्ताओं के संघर्ष का नतीजा और इंसाफ की जीत बताया और कहा कि मायावती मेरी बुआ है, मैं उनका सम्मान करता हूं। समर्थकों ने जेल के बाहर मिठाई बांट कर जश्न मनाया। दो और साथी जेल से रिहा हुए। दरअसल, गुरुवार को रावण की रिहाई को भाजपा भले ही अपना दलित एजेंडा आगे बढ़ने की कड़ी मान रही है और बसपा के मुकाबले उसे अच्छी चुनौती मान कर चल रही है लेकिन रावण के बयान से जाहिर है कि वह बसपा के लिए चुनौती नहीं है।

रावण के घर समर्थकों का तांत

चंद्रशेखर उर्फ रावण की रात दो बजकर 37 मिनट पर जिला जेल से रिहाई हो गई। पुलिस ने अपनी गाड़ी से उसे छुटमलपुर छोड़ा। यहां उसके आते ही समर्थकों का जमावड़ा गया। रावण के दो साथियों को सुबह रिहा कर घर छोड़ा गया। तीनों पर रासुका लगी थी। समर्थकों ने जेल के बाहर मिठाई बांट कर जश्न मनाया। रात से सुबह तक रावण के घर लोगों का तांता लगी है।

दलित प्रेम में कोई कोर-कसर नहीं

एससी-एसटी में संशोधन के बाद से ही भाजपा दलितों को प्रभावित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। वह कई नामवर चेहरों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाने जैसे कदम उठा चुकी है। उल्लेखनीय है कि सहारनपुर की जिस जातीय हिंसा में राजपूत और दलित समुदाय के सामने आने से एक बार पूरा उत्तर प्रदेश सहम गया था, वह भीम आर्मी संगठन की दम पर काफी आगे बढ़ गई है। इस संगठन की स्थापना दलित समुदाय के सम्मान और अधिकार को लेकर चंद्रशेखर ने जुलाई 2015 की गई थी। संगठन का पूरा नाम भीम आर्मी भारत एकता मिशन है। अब वह अपना एजेंडा बदलने को कतई तैयार नहीं है।

भीम आर्मी का मकसद दलितों की सुरक्षा

भीम आर्मी पहली बार अप्रैल 2016 में हुई जातीय हिंसा के बाद सुर्खियों में आई थी। दलितों के लिए लड़ाई लड़ने का दावा करने वाले चंद्रशेखर की भीम आर्मी से आसपास के कई दलित युवा जुड़ गए हैं। चंद्रशेखर का अनेक मौकों पर कहता आया है कि भीम आर्मी का मकसद दलितों की सुरक्षा और उनका हक दिलवाना है लेकिन इसके लिए वह हर तरीके को आजमाने का दावा भी करते थे जो कानून के खिलाफ भी है।

 

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