नगर निगम सीमान्तर्गत वार्डों से एकत्रित होने वाले कूड़े के उठान के दौरान शत प्रतिशत सोर्स-सेग्रीगेशन किये जाने का लक्ष्य बनाया

देहरादून, (देवभूमि जनसंवाद न्यूज़) नगर निगम सीमान्तर्गत वार्डों से एकत्रित होने वाले कूड़े के उठान के दौरान शत प्रतिशत सोर्स-सेग्रीगेशन किये जाने का लक्ष्य बनाया है। निर्देशों के अनुपालन में प्रथम चरण में वार्ड सं0-53 (माता मन्दिर मार्ग) से सोर्स-सेग्रीगेशन का कार्य किया जा रहा है, जिसका निरीक्षण नगर आयुक्त नमामी बंसल द्वारा किया गया।
नगर आयुक्तद्वारा देहरादून शहर की जनता से अपेक्षा की गई कि स्वच्छ दून-सुन्दर दून की परिकल्पना को गति प्रदान करने एवं देश के अन्य विकसित शहरों की भांति देहरादून शहर को साफ-स्वच्छ बनाये जाने हेतु निगम को सहयोग प्रदान करे ।

देहरादून में कूड़ा प्रबंधन की वर्तमान स्थिति

  1. कूड़ा प्रबंधन नीति: देहरादून नगर निगम ने कूड़ा प्रबंधन के लिए एक नीति बनाई है, जिसमें कूड़े को अलग करने और उसका प्रबंधन करने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
  2. कूड़ा संग्रहण: देहरादून में कूड़ा संग्रहण की जिम्मेदारी नगर निगम की है, जो घर-घर जाकर कूड़ा इकट्ठा करती है।
  3. सेग्रीगेशन: देहरादून में कूड़ा सेग्रीगेशन की प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसमें कूड़े को अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जाता है, जैसे कि जैविक कूड़ा, प्लास्टिक कूड़ा, कागज़ कूड़ा, आदि।

शत-प्रतिशत सेग्रीगेशन की दिशा में प्रयास

  1. जागरूकता अभियान: देहरादून नगर निगम ने कूड़ा सेग्रीगेशन के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया है।
  2. कूड़ा सेग्रीगेशन केंद्र: देहरादून में कूड़ा सेग्रीगेशन केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां कूड़े को अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जाता है।
  3. निजी कंपनियों की भागीदारी: देहरादून नगर निगम ने कूड़ा प्रबंधन में निजी कंपनियों को शामिल किया है, जो कूड़ा सेग्रीगेशन और प्रबंधन में मदद कर रही हैं।

चुनौतियाँ और भविष्य की योजनाएं

  1. जागरूकता की कमी: देहरादून में कूड़ा सेग्रीगेशन के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता की कमी है।
  2. बुनियादी ढांचे की कमी: देहरादून में कूड़ा सेग्रीगेशन और प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचे की कमी है।
  3. भविष्य की योजनाएं: देहरादून नगर निगम ने कूड़ा प्रबंधन में सुधार करने के लिए भविष्य की योजनाएं बनाई हैं, जिनमें कूड़ा सेग्रीगेशन, कूड़ा प्रबंधन केंद्रों की स्थापना, और जागरूकता अभियान शामिल हैं।

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