
D.NEWS DEHRADUN: प्रदेश में 40 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में होने वाले किसी भी प्रकार के निर्माण और नदियों में उपखनिज चुगान के मद्देनजर पर्यावरणीय प्रभाव आकलन का रास्ता साफ हो गया है। तीन साल के लंबे इंतजार के बाद उत्तराखंड में राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (सीआ) का विधिवत गठन हो गया है। इस सिलसिले में केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी है। सेवानिवृत्त महानिदेशक वन और पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ.शरद सिंह नेगी को प्राधिकरण की कमान सौंपी गई है। इसके अलावा प्राधिकरण की सहायता के लिए राज्य स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति भी गठित कर दी गई है। केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार प्रदेश में 40 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में उद्योग, सड़क अथवा किसी प्रकार के निर्माण कार्य और नदियों में 50 हेक्टेयर या इससे ज्यादा क्षेत्र में उपखनिज चुगान संबंधी कार्यो में पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआइए) कराना अनिवार्य है। इसके बाद सीआ सभी पहलुओं पर अध्ययन कर संबंधित प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू करने की इजाजत देता है। इतना महत्वपूर्ण प्राधिकरण होने के बावजूद 29 जुलाई 2015 से प्रदेश में इसका गठन लटका हुआ था। परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में प्रोजेक्ट लटके हुए थे। हालांकि, ऐसे प्रस्ताव केंद्र को भेजे जा रहे थे, मगर इसमें खासा विलंब हो रहा था। इसे देखते हुए सीआ के गठन के मद्देनजर राज्य की ओर से प्राधिकरण के साथ ही मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष व सदस्यों के नाम सहित प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया, मगर इसमें कुछ खामियां थीं। इनके दुरुस्त होने के बाद अब केंद्र ने सीआ व मूल्यांकन समिति के गठन के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। सीआ के अध्यक्ष की जिम्मेदारी डॉ.शरद सिंह नेगी को सौंपी गई है, जबकि पर्यावरण वैज्ञानिक शैलेंद्र सिंह बिष्ट को सदस्य और मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल को सदस्य सचिव बनाया गया है। इसके अलावा प्राधिकरण की सहायता के लिए राज्य स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति में जीबी पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विवि पंतनगर के डॉ.आरके श्रीवास्तव को अध्यक्ष बनाया गया है। उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के डॉ.बीपी पुरोहित के अलावा डॉ.पुष्कर सिंह बिष्ट (देवसारी-चमोली) व डॉ.राकेश चंद्र सिंह कुंवर (कांसुवा-चमोली) समिति के सदस्य होंगे। सदस्य सचिव का जिम्मा देहरादून वन प्रभाग के डीएफओ को सौंपा गया है।