पी एम ई जी पी दुवारा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत जागरूकता शिविर का किया गया आयोजन

देहरादून, (देवभूमि जनसंवाद न्यूज़) विकास नगर, जे एस मलिक सह निदेशक-।। नोडल अफसर पी एम ई जी पी ने 28.7.2022 को ग्राम पंचायत सभा स्थल, लाइन जीवन गढ़, विकास नगर, देहरादून में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत जागरूकता शिविर आयोजन किया गया।

इस जागरूकता शिविर में 100 से अधिक महिलाओं और पुरुषों ने भाग लिया। डॉ अलका पांडे, जिला ग्रामोद्योग अधिकारी, उत्तराखंड खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड , देहरादून , शिव वर्मा, मेसर्स शिवा इंटरप्राइजेज, विकास नगर, एक सफल उद्यमी, श्री लवलेश वर्मा, मोबाइल रिपेयरिंग, जे एस मलिक सह निदेशक-।।, के साथ स्टाफ श्री जमलोकी और मोहम्मद इम्तियाज कार्यकारी भी मौजूद थे

डॉ अलका पांडे, जिला ग्रामोद्योग अधिकारी, उत्तराखंड खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड , देहरादून ने सभी प्रतिभागियों को सम्बोधित किया और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम महत्व बताते हुए इस योजना का लाभ उठाने का आवाह्न किया.

इस अवसर पर राम नारायण , राज्य निदेशक प्रभारी ,खादी और ग्रामोद्योग आयोग, देहरादून (उत्तराखंड) ने अपने ध्येय बाक्य ‘कामये दुःख: तप्तानाम प्राणिनाम आर्तिनाशनम’ से अपना सम्बोधन आरम्भ करते हुए आयोग के मुख्य उद्देश्यों की और सभी का ध्यान आकर्षित किया. आयोग के आदर्श वाक्य को मूर्तरूप देने के लिए तीन प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख बह किया यथा –

सामाजिक उद्देश्य – ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराना.
आर्थिक उद्देश्य – बेचने योग्य सामग्री प्रदान करना और
व्यापक उद्देश्य – लोगों को आत्मनिर्भर बनाना और एक सुदृढ़ ग्रामीण सामाजिक भावना का निर्माण करना।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी)
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) दो योजनाओं के विलय का परिणाम है – प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पीएमआरवाई) और ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (आरईजीपी). दिनांक 1 जून 2022 से इस योजना को और अधिक आकर्षक बना दिया है अब परियोजना लगत सेवा क्षेत्र में ₹10. 00 से बढाकर २० लाख और विनिर्माण क्षेत्र में २५ लाख से बढाकर ५० लाख कर दिया है. सरकार ने 2021-22 से 2025-26 तक 5 साल के लिए प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) को बढ़ाने के लिए मंज़ूरी प्रदान की है जिससे अधिकाधिक स्वरोजगार के अवसर सृजित हो सके और नौकरी मांगने की जगह नौरी देने बाले उद्यमी आगे आये ।

इस योजना के तहत, लाभार्थी को परियोजना की लागत के 10 प्रतिशत का निवेश स्वयं के योगदान के रूप में करना होता है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अन्य कमजोर वर्गों से लाभार्थी के लिए यह योगदान परियोजना की कुल लागत का 5 प्रतिशत होता है। शेष 90 या 95% प्रतिशत (जो भी लागु हो), इस योजना के तहत लगभग सभी बैंकों द्वारा प्रदान किया जाता है। इस योजना के तहत लाभार्थी को मार्जिन मनी के रूप में ऋण की एक निश्चित रकम वापस दी जाती है (सामान्य के लिए 25%, ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर वर्गों के लिए 35%), जो कि ऋण प्राप्त करने की तिथि के तीन वर्षों के बाद उसके खाते में आती है। टर्म लोन के रूप में, जिसे सेवा क्षेत्र के लिए प्रोजेक्ट कॉस्ट ₹20 लाख रुपये और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के लिए ₹ 50 लाख तक आसानी से ऋण मिलता है।

राज्य निदेशक ने सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस योजना के जरिए लोगों को स्व-रोजगार शुरू करने के लिए प्रेरित करना चाहती है। ताकि नई परियोजनाओं के शुरू होने से देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा हो सकें। उन्होंने बताया कि इस योजना का उद्देश्य बेरोजगारी को दूर करना है। देश का युवा अपने पैरों पर खड़ा हो सके, वह अपना खुद का उद्योग / धंधा / स्वरोजगार लगा सके और दूसरे लोगों को भी रोजगार दे सके.

श्री जे एस मलिक सह निदेशक-।। नोडल अफसर पी एम ई जी पी ने सभी अधिकारी कर्मचारी तथा विशेष रूप से आमंत्रित सफल पीएमईजीपी उद्यमियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।

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