ढाका। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देकर देश छोड़ने के बाद छात्र आंदोलन तो समाप्त हो गया, लेकिन इसके बाद से देश में हिंदुओं पर हमले शुरू हो गए हैं। कट्टरपंथी गुटों ने अब बांग्लादेश में मौजूद हिंदुओं को पूरी तरह से खत्म करने की धमकी दी है। एक कट्टरपंथी, अबू नज्म फर्नांडो बिन अल-इस्कंदर, जो खुद को इस्लामी विद्वान और पीएचडी छात्र बताता है, ने बांग्लादेश के मुस्लिमों से हिंदुओं को मिटा देने की अपील की है। उसने इस्लामी न्यायशास्त्र का हवाला देते हुए कहा कि हिंदुओं के पास केवल दो विकल्प हैं—या तो वे तलवार का सामना करें या इस्लाम स्वीकार कर लें। उसने यह भी कहा कि हिंदुओं को इस बात का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उनका सामना अभी हनफी विचारधारा से हो रहा है, न कि मलिकी, शैफी या हनबली से, जो सुन्नी इस्लामी कानून की प्रमुख विचारधाराएं हैं।
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस के उप-प्रवक्ता फरहान हक ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि हाल के हफ्तों में बांग्लादेश में जो हिंसा हो रही है, उसे तुरंत रोका जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र ने नस्लीय आधार पर होने वाले किसी भी प्रकार के हमले और हिंसा के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
बांग्लादेश में आरक्षण खत्म करने को लेकर शुरू हुई हिंसा में अब तक कम से कम 600 लोगों की जान जा चुकी है। मृतकों में शेख हसीना की पार्टी के कई नेता, समर्थक, बांग्लादेशी पुलिसकर्मी और हिंदू भी शामिल हैं। गुरुवार को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन कर लिया गया है, और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख सलाहकार नियुक्त किया गया है। इसके बावजूद देश के कई हिस्सों में उपद्रवियों का तांडव जारी है।