‘पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है, मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है।’ देहरादून की बेटी युवा उद्यमी दिव्या रावत पर यह पंक्तियां सटीक बैठती हैं। ‘मशरूम गर्ल’ के नाम से मशहूर दिव्या ने मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में स्वरोजगार की नई इबारत लिख युवाओं को रास्ता दिखाया है कि वे नौकरी करने वाली नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बनें।
साढ़े पांच साल में 15 करोड़ टर्नओवर
दिव्या ने अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के बूते यह दर्शाया है कि हौसले बुलंद हों तो क्या कुछ हासिल नहीं किया जा सकता। उनकी कामयाबी की दास्तान इसकी तस्दीक भी करती है। दिव्या ने पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने सोशल वर्क के क्षेत्र में कदम रखा, लेकिन एक संस्था में नौकरी रास नहीं आई और खुद के बूते किस्मत लिखने की ठानी। साढ़े पांच साल पहले दिव्या ने देहरादून में सौम्या फूड प्राइवेट लि. कंपनी स्थापित कर मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में कदम रखा।
उन्होंने न सिर्फ मशरूम उत्पादन शुरू किया, बल्कि देहरादून समेत राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी युवाओं और महिलाओं को इसके लिए प्रेरित किया। धीरे-धीरे दिव्या ‘मशरूम गर्ल’ के नाम से पहचानी जाने लगी। वह देहरादून में बटन, ओएस्टर और मिल्की मशरूम के उत्पादन के साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्र की मिल्यिकत कीड़ा जड़ी का उत्पादन भी अपनी लैब में कर रही हैं। साढ़े पांच साल के सफर में दिव्या की कंपनी का टर्नओवर 15 करोड़ तक पहुंच चुका है।
महज तीन लाख से शुरू की थी कंपनी
दिव्या की कंपनी ने मशरूम का कारोबार महज तीन लाख रुपये की लागत से शुरू किया था। धीरे-धीरे मशरूम की खेती से और अधिक लोगों को जोड़ा गया और उन्हें मशरूम की खेती को प्रोत्साहित किया गया।
दून में देश का पहला कीड़ा-जड़ी चाय रेस्टोरेंट
उच्च हिमालयी क्षेत्र की मिल्कियत कीड़ा जड़ी (यारसा गंबू) को शक्तिवर्द्धक औषधि के रूप में ही जाना जाता था, लेकिन अब आप दून में कीड़ा जड़ी चाय का भी आनंद ले सकते हैं। मशरूम गर्ल दिव्या रावत ने पिछले साल से दून में कीड़ा-जड़ी का दून में उत्पादन शुरू करने के साथ ही कीड़ा-जड़ी चाय की बिक्री प्रारंभ कर दी है।
दिव्या का दावा है कि यह देश का पहला कीड़ा जड़ी चाय रेस्टोरेंट है। इसमें ग्राहकों को कीड़ा-जड़ी चाय से होने वाले तमाम फायदों से भी रूबरू कराया जा रहा है। कीड़ा-जड़ी उत्पादन के लिए दिव्या ने अपने घर में एक विशेष लैब बनाई है। उन्होंने मई 2017 में कीड़ा-जड़ी का उत्पादन शुरू किया और वर्तमान में दो माह में करीब 60 किग्रा कीड़ा जड़ी तैयार हो रही है। इसकी बाजार में कीमत 1.20 करोड़ रुपये प्रति किलो है।
5000 युवाओं-महिलाओं को ट्रेनिंग
दिव्या लंबे अर्से से मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में काम कर रही हैं। साथ ही देहरादून समेत पहाड़ के गांव-गांव जाकर लोगों को भी मशरूम उगाने का प्रशिक्षण देती हैं। उन्होंने खाली पड़े खंडहरों, मकानों में मशरूम उत्पादन शुरू किया। इसके बाद कर्णप्रयाग, चमोली, रुद्रप्रयाग, यमुना घाटी के विभिन्न गांवों की महिलाओं को इस काम से जोड़ा।
उन्होंने जितनी गंभीरता से मशरूम के प्रोडक्शन पर ध्यान दिया, उतनी ही मशक्कत से इसकी मार्केटिंग में भी हस्तक्षेप किया। अब तो प्रदेश सरकार ने उनके कार्यक्षेत्र रवाई घाटी को ‘मशरूम घाटी’ घोषित कर दिया है। दिव्या बताती हैं कि अब दून समेत राज्यभर में पांच हजार से अधिक युवाओं और महिलाओं को मशरूम उत्पादन से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इनमें से अधिकांश ने उत्पादन भी प्रारंभ कर दिया है।
हजारों युवाओं की प्रेरणास्रोत दिव्या
उत्तराखंड की दिव्या रावत जैसी बेटियों पर सिर्फ उत्तराखंड को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को नाज है, जो देश के कई अन्य राज्यों में युवाओं को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग दे रही हैं। हजारों युवाओं एवं महिलाओं को आज यदि रोजगार नसीब हो रहा है, तो सिर्फ दिव्या के साहसिक कदम से। 29 वर्षीय दिव्या को उनकी उपलब्धि के लिए वर्ष 2017 में विश्व महिला दिवस पर मशरूम क्रांति के लिए राष्ट्रपति भवन में सम्मानित भी किया जा चुका है। उत्तराखंड सरकार इन्हें पहले ही अपना ब्रांड एंबेसेडर घोषित कर चुकी है। इसके अलावा उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं।