मिस्टर ली न भारत छोड़ सके, न भारत के हो सके

मिस्टर ली न भारत छोड़ सके, न भारत के हो सके

D.NEWS DEHRADUN : हल्द्वानी  मिस्टर ली का असल नाम ली पींग युवान है। हल्द्वानी में चाइनीज फूड के शौकीनों ने यह नाम जरूर सुना होगा। ली हल्द्वानी के उन चुनिंदा लोगों में हैं, जिन्होंने शहर में खाने के शौकीनों को असल चाइनीज फूड का स्वाद मुंह लगाया। उनके हुनर का ही कमाल है कि उन्होंने जिस रेस्तरां में काम किया, वह उन्हीं के नाम से पहचाना जाने लगा। नैनीताल रोड पर आज भी मिस्टर ली के नाम से रेस्तरां चलते हैं। लेकिन ली खुद अपने बेटे की फूड वैन पर काम करते हैं। यह वैन नैनीताल रोड पर ही खड़ी नजर आती है।
मिस्टर ली के बनाए चाऊमीन-मोमो में जितना स्वाद है, उनकी जिंदगी उतनी ही बेस्वाद है। उनका 28 साल का बेटा गर्व से कहता है कि वह भारतीय है, लेकिन कानूनी पेचीदगी है कि मिस्टर ली 75 साल की उम्र में भी यह बात नहीं कह सकते। मिस्टर ली चीन के इसलिए नहीं हैं, क्योंकि उनका जन्म भारत में हुआ। चीन कभी गए भी नहीं। भारतीय इसलिए नहीं हैं, क्योंकि अंग्रेजों के दौर में जन्मे। अपने परिवार में मिस्टर ली ऐसे अकेले शख्स नहीं हैं। उनके भाई-बहनों के भारतीय होने पर भी कानून आड़े आया, लेकिन वे भारत छोड़ गए। कोई इंग्लैंड जाकर बसा। मौका मिस्टर ली के पास भी था, लेकिन वह भारत में ऐसे रचे-बसे कि यहां की मिट्टी का मोह नहीं छोड़ पाए।

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