Breaking News

लड़ाकू विमानों में 10 फीसद बायोजेट फ्यूल प्रयोग करेगी वायुसेना

लड़ाकू विमानों में 10 फीसद बायोजेट फ्यूल प्रयोग करेगी वायुसेना
भारतीय वायु सेना अपने फाइटर प्लेन में सामान्य ईंधन के साथ 10 फीसद बायोजेट फ्यूल का इस्तेमाल करेगी। इसके लिए सेना के अधिकारी आइआइपी के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हैं।

D.NEWS DEHRADUN : भारतीय वायु सेना अपने फाइटर प्लेन में सामान्य ईंधन के साथ 10 फीसद बायोजेट फ्यूल का प्रयोग भी करेगी। रक्षा मंत्रालय से ऐसे निर्देश सेना को मिले हैं। लिहाजा, इसके बाद अब वायु सेना का फोकस अधिक मात्रा में बायोजेट फ्यूल का उत्पादन करने पर है। इसके लिए सेना के अधिकारी भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हैं।

आइआइपी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिल सिन्हा ने बताया कि वायु सेना को लक्ष्य मिलने के बाद सेना के अधिकारी रिफाइनरी लगाने पर विचार कर रहे हैं। इसके अलावा अधिक मात्रा में बायोजेट फ्यूल तैयार करने के लिए वायु सेना ने पांच करोड़ रुपये संस्थान को दिए हैं।

इतनी ही राशि काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एवं इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) से प्राप्त हुई है। इस प्लांट की क्षमता प्रति घंटे 200 लीटर बायोजेट फ्यूल तैयार करने की होगी। हालांकि, भविष्य में मांग बढ़ने के साथ ही अन्य स्थानों पर भी तेल उत्पादन के प्लांट लगाने पड़ेंगे।

इस बात को ध्यान में रखते हुए वायु सेना के साथ ऐसे स्थानों की तलाश की जा रही है, जहां बायोजेट फ्यूल बनाने के लिए जैट्रोफा व अन्य वनस्पतियों से अधिक मात्रा में कच्चा माल मिल सके। ताकि वायु सेना खुद के प्रयोग के लिए रिफाइनरी स्थापित करवा सके।

स्पाइजेट भी लगाएगी रिफाइनरी 

निकट भविष्य में स्पाइसजेट ने अपने सभी विमानों में 25 फीसद बायोजेट फ्यूल के प्रयोग का लक्ष्य रखा है। आइआइपी के अनुसार, स्पाइजेट को प्रतिदिन करीब 10 हजार लीटर बायोजेट फ्यूल की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में यह विमानन कंपनी भी आइआइपी की मदद से अपनी रिफाइनरी स्थापित करने पर विचार कर रही

15 दिन में शुरू होगा अधिक उत्पादन

आइआइपी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सिन्हा के अनुसार, प्रति दिन 200 लीटर बायोजेट फ्यूल क्षमता का प्लांट 15 दिन के भीतर काम करना शुरू कर देगा। इसके लिए छत्तीसगढ़ से प्रतिमाह 1000 लीटर जैट्रोफा का सामान्य बायोफ्यूल मंगाया जा रहा है।

सामान्य ईंधन के करीब लाई जाएगी बायोजेट फ्यूल की लागत 

आइआइपी के वैज्ञानिकों ने इस दिशा में भी काम करना शुरू कर दिया है कि बायोजेट फ्यूल की लागत को कम किया जा सके। अभी जो फ्यूल तैयार हो रहा है, उसकी कीमत करीब 120 रुपये प्रति लीटर आ रही है। जबकि सामान्य एविएशन फ्यूल की दर करीब 70 रुपये लीटर है। दर बढ़ने के पीछे बड़ी वजह यह भी है कि छत्तीसगढ़ से जो बायोफ्यूल मंगाया जा रहा है, उसकी ही कीमत करीब 70 रुपये प्रति लीटर चुकानी पड़ रही है।

इसके लिए वेस्ट कुकिंग ऑयल का प्रयोग करने पर भी विचार किया जा रहा है। यह तेल 20 रुपये प्रति लीटर तक प्राप्त हो जाता है। प्रयास किए जा रहे हैं कि आयात कर भी ऐसा तेल मंगाया जाए। इसके लिए संस्थान के अधिकारी सरकार से मांग कर रहे हैं कि वेस्ट कुकिंग ऑयल पर आयात व अन्य शुल्क माफ किए जाएं।

इस तरह निकट भविष्य में प्रयास किए जाएंगे कि बायोजेट फ्यूल की कीमत या तो सामान्य ईंधन से कम हो जाए या कम से कम उसके इर्द-गिर्द जरूर रहे।

ऑक्सीजन हटाकर तैयार होता है बायोजेट फ्यूल 

भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिल सिन्हा ने बताया कि वर्ष 2008 में ब्रिटेन की वर्जिन अटलांटिक एयरवेज ने कोकोनट ऑयल से हवाई जहाज उड़ाया। उस समय सामान्य जेट फ्यूल में 20 फीसद कोकोनट ऑयल मिलाया गया था।

इसी के बाद संस्थान ने भी तय किया कि बायोजेट फ्यूल की दिशा में कदम बढ़ाए जाने की जरूरत है। वर्ष 2008-09 से ही शोध शुरू करने के करीब 10 साल के भीतर इस उपलब्धि को हासिल भी कर लिया गया।

डॉ. अनिल सिन्हा के अनुसार शोध की अवधि के दौरान ही इंटनेशनल एविएशन ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आइएटीए) भी यह कह चुका था कि वर्ष 2017 से विमानों में 10 फीसद बायोजेट फ्यूल का प्रयोग शुरू किया जाना चाहिए, जो कि भविष्य में अनिवार्य भी कर दिया जाएगा।

ऐसे में भविष्य की प्रतिबद्धताओं के लिहाज से भी देश ने बड़ा कदम बढ़ा दिया है। वहीं, बायोजेट फ्यूल तैयार करने की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए डॉ. सिन्हा बताते हैं कि बायोजेट फ्यूल तैयार करने के लिए सामान्य बायोफ्यूल (जैट्रोफा ईंधन) से उत्प्रेरक (कैटलिस्ट) के माध्यम से ऑक्सीजन को अलग किया गया।

इसके लिए मॉलीक्यूल्स का ब्रेकडाउन किया गया। साथ ही इसके हाईड्रोकार्बन की चेन को काटकर उसकी ब्रांचिंग की गई। क्योंकि ऑक्सीजन की मौजूदगी व हाईड्रोकार्बन की अधिकता के चलते ऐसा ईंधन कम तापमान में जमने लगता है। जबकि कैटलिस्ट प्रक्रिया के बाद तैयार बायोजेट फ्यूल माइनस 47 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान में भी सामान्य अवस्था में रहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *