विद्यालयी शिक्षा में 851 अतिथि शिक्षकों की और होगी तैनातीः डॉ. धन सिंह

देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्रों के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा मंत्री, डॉ. धन सिंह रावत ने घोषणा की है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्रवक्ता संवर्ग के 851 रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी।

शिक्षकों की कमी होगी दूर

इस निर्णय के तहत गणित, विज्ञान (भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान), और अंग्रेजी विषय के शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। विशेष रूप से प्रदेश के पर्वतीय और दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यालयों में इन शिक्षकों की तैनाती की जाएगी, जिससे वहां शैक्षणिक गतिविधियां बिना किसी रुकावट के जारी रह सकें।

भर्ती प्रक्रिया और पदों का विवरण

डॉ. रावत ने बताया कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 2020 की मेरिट लिस्ट के आधार पर की जाएगी। विभिन्न जनपदों में नियुक्त किए जाने वाले अतिथि शिक्षकों के पदों का विवरण इस प्रकार है:

  • चमोली जनपद: 158 पद
    • गणित: 22, भौतिक विज्ञान: 30, रसायन विज्ञान: 29, जीव विज्ञान: 24, अंग्रेजी: 53
  • पिथौरागढ़ जनपद: 163 पद
    • गणित: 10, फिजिक्स: 52, कैमिस्ट्री: 38, बायोलॉजी: 28, अंग्रेजी: 35
  • पौड़ी जनपद: 121 पद
    • मैथ्स: 24, फिजिक्स: 11, कैमिस्ट्री: 25, बायोलॉजी: 07, अंग्रेजी: 54
  • अल्मोड़ा जनपद: 122 पद
    • मैथ्स: 10, फिजिक्स: 20, कैमिस्ट्री: 26, बायोलॉजी: 31, अंग्रेजी: 35
  • टिहरी जनपद: 31 पद
    • मैथ्स: 01, फिजिक्स: 01, कैमिस्ट्री: 08, बायोलॉजी: 01, अंग्रेजी: 20
  • नैनीताल जनपद: 30 पद
    • मैथ्स: 03, फिजिक्स: 06, कैमिस्ट्री: 03, बायोलॉजी: 06, अंग्रेजी: 12
  • चम्पावत जनपद: 81 पद
    • मैथ्स: 07, फिजिक्स: 25, कैमिस्ट्री: 17, बायोलॉजी: 16, अंग्रेजी: 16
  • बागेश्वर जनपद: 46 पद
    • मैथ्स: 13, कैमिस्ट्री: 08, बायोलॉजी: 12, अंग्रेजी: 13

शिक्षा के स्तर को सुधारने की पहल

वर्तमान में, प्रदेश के विभिन्न राजकीय विद्यालयों में 3655 अतिथि शिक्षक तैनात हैं, जिनमें से 1175 सहायक अध्यापक और 2480 प्रवक्ता संवर्ग में कार्यरत हैं। डॉ. रावत ने कहा कि यह निर्णय प्रदेश के नौनिहालों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के सरकार के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस पहल से उत्तराखंड के दूरस्थ और पर्वतीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में सहायता मिलेगी और शैक्षणिक गतिविधियों को निर्बाध रूप से संचालित किया जा सकेगा।

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