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त्रिवेन्द्र सरकार पिछले कुछ महीनों में तालमेल की भारी कमी से जूझ रही है| सरकार का विवादों से कुछ ऐसा नाता बढ़ा कि वो आपसी तालमेल करना ही भूल गयी, चिंता की बात ये है कि सरकार के साथ ये सब लोकसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले हो रहा है| इतना ही नहीं त्रिवेन्द्र सरकार में कार्यकताओं की सुनवाई के रास्ते भी बंद से दिखने लगे हैं.. चुनाव में झंडा उठाने वाले कार्यकर्ता आज अपने कामों के लिए दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं| वैसे ये आंकलन हमारा नहीं, बल्कि खुद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मौजूदा विधायक बिशन सिंह चुफाल का है| बिशन सिंह चुफाल पूर्व भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं और पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं| चुफाल की माने सरकार में बेहतर तालमेल नहीं हो ने की वजह से ही विकास कार्यों का सन्देश आम लोगों तक नहीं पहुँच पा रहा है, वही दायित्व नहीं मिलने से कार्यकर्ताओं में भी रोष है|
कार्यकर्ताओं को नहीं डी जा रही तवज्जो
उत्तराखंड में भारी बहुमत के साथ भाजपा सरकार सत्ता में आई तो कार्यकर्ताओं के चेहरे खिले हुए थे, उम्मीद थी कि अब उनके काम सरकार आने के बाद हो सकेंगे लेकिन ये उम्मीदें भी टूटती चली गयी/ चुफाल बताते हैं कि कार्यकर्ताओं के काम आज सरकार में नहीं हो पा रहे हैं| डीएम, एडीएम और एसडीएम तो दूर पटवारी और कलर्क स्तर के अधिकारी भी भाजपा कार्यकर्ताओं की नहीं सुन रहे| जिससे कार्यकर्ताओं में गुस्सा है और इसके लिए पूरी सरकार जिम्मेदार है |