स्वास्थ्य महानिदेशक की उपेक्षा से भड़के सरकारी डॉक्टर

D.NEWS DEHRADUN : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा संचालित योजनाओं में स्वास्थ्य महानिदेशक की अनदेखी से प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ नाराज हो गया है। संघ ने विभाग की सभी योजनाओं में डीजी की सलाह लेने और डीजी की स्थाई नियुक्ति के आदेश करने की मांग की है। प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ की रविवार को बैठक हुई। इसमें डॉक्टरों से जुड़ी मांगों पर कार्रवाई नहीं होने पर नाराजगी जताई गई। पीएमएचएस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. डीपी जोशी ने कहा कि स्वास्थ्य सचिव ने डॉक्टरों को कई मुद्दों पर आश्वासन दिए थे। पर कोई भी कैबिनेट में नहीं लाया गया। इससे साफ है कि सरकार डॉक्टरों की अनदेखी कर रही है। इस दौरान डॉक्टरों ने एनएचएम की योजनाओं में स्वास्थ्य महानिदेशक की सलाह नहीं लिए जाने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बीच आपसी समन्वय नहीं होने से स्वास्थ्य सेवाएं खराब हो रही हैं। बैठक में महासचिव डॉ दिनेश चौहान, डॉ आनंद शुक्ला, डॉ मेघना असवाल, डॉ प्रदीप राणा, डॉ चारू बहुगुणा व संघ के पदाधिकारी मौजूद थे।

अधिकारों की जंग में सेवाएं बदहाल
देहरादून। एनएचएम और महानिदेशालय के अधिकारियों के बीच अधिकार क्षेत्र को लेकर विवाद चल रहे हैं। एनएचएम की स्थापना स्वास्थ्य सेवाओं को तकनीकि एवं वित्तीय सहयोग देने के लिए की थी। पर एनएचएम को अलग विभाग के रूप में चलाया जा रहा है। इसकी शुरुआत एनएचएम के पूर्व एमडी चंद्रेश यादव के समय से हुई। उन्होंने एनएचएम के तहत चल रहे सभी कार्यक्रमों में प्रभारी अधिकारियों की नियुक्ति कर दी। जिससे एक ही विभाग में एक ही कार्यक्रम में दो दो अधिकारी हो गए। अब एनएचएम के अधिकारी सचिव स्वास्थ्य के आदेशों को भी नहीं मान रहे। सचिव ने छह महीने पहले हेल्थ एंड पॉपुलेशन नीति के तहत आईईसी के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की थी। लेकिन इस आदेश के बाद एमडी ने एनएचएम में अलग से आईईसी प्रभारी अधिकारी की नियुक्ति कर दी और नोडल अधिकारी को पूरी तरह काम से अलग कर दिया गया है।

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