जिन लोगों ने आश्विन पूर्णिमा पर श्राद्ध नहीं किया, उन्होंने भी सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध और तर्पण कर पितरों को मोक्ष दिलाया। वहीं, श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी सहित अन्य गंगा घाटों पर स्नान कर पुण्य अर्जित किया।
लोगों ने पितरों के निमित्त वस्त्र, भोजनए पिंडदान सहित अन्य वस्तुएं दान दी। नारायाणी शिला पर सुबह पांच बजे से ही भगवान विष्णु के दर्शन करने वालों की लंबी कतार लगनी शुरू हो गयी थी। कुशावर्त एवं नारायणी शिला पर श्राद्ध करने वालों की भीड़ लगी हुई है।
अमावस्या दो दिन में बंट जाने के कारण यहां आने वाली भीड़ दो दिन में विभाजित हो गई। आमतौर पर पितृ अमावस्या के अगले दिन नवरात्र प्रारंभ हो जाते हैं। इस बार नवरात्र बुधवार से शुरू हो रहे हैं। चतुर्दशी और अमावस्या श्राद्ध के लिए जहां गंगा के घाटों पर भीड़ लगी रही, वहीं पंचपुरी के घरों में भी पितरों को विदाई दी गई।