हाईवे घोटाले में फंसे एक आईएएस अफसर ने किसानों को सरकारी जमीनों का भी मुआवजा बांट दिया

NH-74 घोटाला

D.NEWS DEHRADUN हाईवे घोटाले में फंसे एक आईएएस अफसर ने किसानों को सरकारी जमीनों का भी मुआवजा दिला दिया और वो भी कई गुना ज्यादा। ये मामले अब अफसर के गले की फांस बनते जा रहे हैं। एसआईटी ने अपनी जांच के दायरे में तत्कालीन दो जिलाधिकारियों को भी शामिल कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, एसआईटी प्रभारी सदानंद दाते ने जब यह हकीकत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को बताई थी तो उन्होंने तब ही आईएएस अफसरों को नोटिस भेजने और पूछताछ की अनुमति दे दी थी।
सूत्रों ने बताया कि एसआईटी ने उक्त आईएएस अफसर से पूछताछ में जब यह सवाल किया कि किस आधार पर आर्बिट्रेटर के रूप में उन्होंने सरकारी जमीन का मुआवजा देने के आदेश दिए तो वह मौन साध गए। उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था। बताया गया है कि ऐसे एक नहीं बल्कि कई मामले हैं, जिनमें सरकारी जमीनों पर भी मुआवजा दे दिया गया। आर्बिट्रेशन एक्ट में साफ है कि आर्बिट्रेटर सरकारी जमीन पर मुआवजा तय नहीं कर सकता, चाहे उस पर भवन ही क्यों न बना हो। इस मामले में आईएएस अफसर का लपेट में आना तय माना जा रहा है। मामले की गंभीरता को देखतेह हुए आईएएस एसोसिएशन अब संबंधित अफसर के बचाव में सरकार पर दबाव बनाने में लगी है। सूत्रों ने बताया कि इस प्रकरण की फाइल अपर मुख्य सचिव (कार्मिक) राधा रतूड़ी के पास है। मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह 22 अगस्त तक राज्य से बाहर हैं, लिहाजा उनके आने के बाद ही सरकार कोई कदम उठाएगी। माना जा रहा है कि  इस मामले में न्याय विभाग से भी परामर्श लिया जा सकता है।
अभियोजन की अनुमति
सूत्रों ने बताया कि एसआईटी जल्द ही दोनों आईएएस अफसरों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति को पत्र भेज सकती है। सरकार यदि यह मंजूरी देती है तो अफसरों पर कार्रवाई तय है।
सही मुआवजे के मामले भी फंसे
घोटाले के बाद यूएसनगर में बड़ी संख्या में किसानों के सही मुआवजे भी फंस हैं। यूएसनगर के डीएम ने ऐसे किसानों के मुआवजे निर्धारण को लेकर शासन को पत्र भेजते हुए कमेटी बनाने का सुझाव भेजा था, लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं हो पाया, जिस वजह से किसानों को जमीनों का मुआवजा नहीं मिल पा रहा है।

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