सोशल मीडिया पर आंख बंद कर भरोसा करते हैं तो यह खबर जरूर पढ़ें

सोशल मीडिया पर आंख बंद कर भरोसा करते हैं तो यह खबर जरूर पढ़ें

सोशल मीडिया से आने वाली किसी भी खबर, तस्वीर या वीडियो पर आंख बंद करके भरोसा न करें। पहले तथ्यों की जांच कर लें, उसके बाद ही कोई प्रतिक्रिया दें।

नई दिल्ली, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर पिछले दिनों फाइटर जेट टच डाउन कराए गए थे। भविष्य में आने वाली विपरीत परिस्थितियों में इसे लड़ाकू विमानों के लिए रनवे के रूप में इस्तेमाल करने की बात कही जा रही थी। लेकिन बुधवार को इसी एक्सप्रेस-वे की सर्विस लेन पर 50 फीट गहरा गड्ढ़ा होने और उसमें एक एसयूबी के गिरने की खबर जंगल में आग की तरह फैली। यह इसलिए भी क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का यह ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। देखते ही देखते इस हादसे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तैरने लगीं।

बस फिर क्या था, मामला आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के गड्ढ़े तक ही सीमित नहीं रहा। सोशल मीडिया में और भी कई तस्वीरें खोद-खोदकर लाई जाने लगीं। ऐसी की एक तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सड़क धंसने और उसके स्टेडियम आकार के गड्ढ़े की बताकर सोशल मीडिया में आ गई।

वाराणसी की बतायी जा रही यह तस्वीर सच में डरावनी तो है, लेकिन वाराणसी की है या नहीं यह सोशल मीडिया पर आंख बंद करके भरोसा करने वाले नहीं जानते थे। इस तस्वीर को लेकर वाराणसी का होने का दावा करने के साथ ही इसके नीचे तंज कसते हुए लिखा गया, ‘विश्व का पहला अंडर ग्राउंड क्रिकेट स्टेडियम बन कर तैयार है। वो भी सड़क के बीचों-बीच। नरेंद्र मोदी जी को 21 तोपों की सलामी।’अगर आप सोशल मीडिया पर आंख बंद करके भरोसा करते हैं तो आप भी इसे सच मानने की गलती कर सकते हैं। जब इस तस्वीर की खोजबीन की गई तो यह तस्वीर साल 2017 की निकली। पिछले साल 7 अगस्त को कांग्रेस आईटी सेल की हेड दिव्या स्पंदना ने इस फोटो को ट्वीट किया था। उन्होंने दावा किया था कि यह तस्वीर अहमदाबाद शहर की है। यही नहीं अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (AMC) ने माना भी था कि यह तस्वीर अहमदाबाद की है। इस तस्वीर में बैरिकेड पर अंग्रेजी और गुजराती में एएमसी लिखा देखा जा सकता है।

इसी तस्वीर को दिव्या से पहले 29 जुलाई 2017 को गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर रह चुके संजीव भट्ट ने भी ट्वीट किया था। भट्ट ने भी इसे अहमदाबाद का ही बताया था। यह तस्वीर शहर के स्वास्तिक चौराहे के पास की है। जुलाई 2017 में भारी बारिश के बाद यह सड़क धंस गई थी।ऐसा पहली बार नहीं है जब सोशल मीडिया पर गलत तस्वीर डालकर लोगों को भ्रमित किया गया हो। यह सब फेक न्यूज की कैटेगरी में आता है और इसको लेकर सरकार सख्त कदम उठा रही है। ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप के साथ ही गूगल भी फेक न्यूज पर लगाम लगाने के लिए प्रयासरत हैं। ऐसे में आपकी भी जिम्मेदारी बनती है कि सोशल मीडिया से आने वाली किसी भी खबर, तस्वीर या वीडियो पर आंख बंद करके भरोसा न करें। पहले तथ्यों की जांच कर लें, उसके बाद ही कोई प्रतिक्रिया दें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *