D.NEWS DEHRADUN : राज्य सरकार ने वर्ष 2016 के बाद चिह्नित राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों को झटका दिया है। शासन ने स्पष्ट किया है कि 2016 के बाद चिह्नित हुए राज्य आंदोलनकारियों के परिजनों को मृतक आश्रित पेंशन नहीं दी जाएगी। उत्तरकाशी समेत कुछ अन्य जिलों में यह पेंशन दी जा रही थी। अब इस निर्णय से आंदोलनकारियों में निराशा और आक्रोश है।
उत्तराखंड राज्य के चिह्नित आंदोलनकारियों को सरकार ने पेंशन की पात्रता के लिए दो श्रेणियां बनाई। इसमें आंदोलन के दौरान घायल होने और सात दिन से अधिक जेल में रहने वाले आंदोलनकारी एक श्रेणी और सात दिन से कम जेल जाने वालों की श्रेणी दूसरी है। इनमें मृतक आश्रितों को पेंशन को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था।
एक जून 2016 को तत्कालीन सरकार ने एक शासनादेश जारी किया, जिसमें घायल होने और सात दिन से कम जेल में रहने वाले आंदोलनकारियों के लिए पेंशन तय की गई थी। हालांकि, इसमें आश्रितों को पेंशन दिए जाने के संबंध में स्थिति स्पष्ट नहीं थी। इस कारण कुछ जिलों में तो आश्रितों को पेंशन दी जा रही थी लेकिन अन्य जिलों में नहीं। ऐसे में शासन ने पांच अक्टूबर 2018 को एक शासनादेश जारी कर यह स्पष्ट किया कि वर्ष 2016 के बाद चिह्नित राज्य आंदोलनकारियों की मृत्यु होने की सूरत में उनके आश्रितों को पेंशन नहीं दी जाएगी। इसे लेकर आंदोलनकारियों में आक्रोश है।
उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती का कहना है कि आंदोलनकारियों के संबंध में समय-समय पर जारी शासनादेशों का पूर्ण रूप से पालन नहीं हो रहा है। इसे लेकर जल्द ही सभी आंदोलनकारी संगठनों की बैठक बुलाई जाएगी।