D.NEWS DEHRADUN: जो उम्र अपने सपनों को पूरा करने की होती है और जिस उम्र में देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा सबसे अधिक होता है, उस उम्र में भटकाव जीवन को मौत की अंधी सुरंग में धकेल सकता है। हम बात कर रहे हैं लाइलाज बीमारी एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) की। ऐसी लाइलाज बीमारी, जिसका कारक ह्यूमन इम्यूनो वायरस (एचआइवी) होता है। यहां युवाओं की बात इसलिए की जा रही है, क्योंकि कुल एचआइवी पॉजिटिव लोगों में 40 फीसद से अधिक संख्या 25 से 34 वर्ष के उम्र के लोगों की है।
उत्तराखंड राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी (यूसैक्स) के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2016-17 व 2017-18 में 1674 लोग एचआइवी पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें 41.25 फीसद लोग 25 से 34 वर्ष के बीच के हैं। इसके बाद 35 से 49 वर्ष के उम्र के बीच के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। यह आंकड़ा कुल पॉजिटिव लोगों में 36.15 फीसद है। जबकि, 50 वर्ष से अधिक की उम्र के लोगों में भी इस वायरस का संक्रमण पाया गया है।