मुंबई। मुंबई के घनी आबादी वाले इलाके में मंगलवार को एक रिहायशी इमारत के गिर जाने से 11 लोगों की मौत हो गयी। मलबे में अभी भी 40 से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका है। इसी के साथ ही महानगर के चरमराते बुनियादा ढांचे ने एक बार फिर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। स्थानीय निकाय के अधिकारियों ने बताया कि दक्षिणी मुम्बई में डोंगरी इलाके की एक संकरी गली में चार मंजिला रिहायशी इमारत दोपहर से पहले गिर गई। मलबे में अब भी 40 से अधिक लोग फंसे हैं। बीएमसी अधिकारियों ने कहा कि सौ साल पुराने भवन के गिर जाने से 11 लोगों की मौत हो गयी। इससे पहले महाराष्ट्र के आवास मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने बताया था कि प्राथमिक सूचना के अनुसार इस हादसे में 12 लोगों की मौत हुई है। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि टांडेल मार्ग पर ‘कौसरबाग’ बिल्डिंग गिरने से नौ लोग घायल भी हुए हैं।
मुंबई के मेयर विश्वनाथ महादेश्वर ने कहा कि उन्होंने नगर आयुक्त को मामले की जांच शुरू करने को कहा है। टीवी पर बचावकर्मियों द्वारा एक बच्चे को मलबे से बाहर निकालते हुए दिखाया गया। अधिकारियों ने बताया कि बच्चा जीवित है। एक अधिकारी ने बताया कि बृहन्मुम्बई महानगरपालिका (बीएमसी) ने इमामबाड़ा नगरपालिका उच्चतर माध्यमिक कन्या विद्यालय में आश्रयस्थल बनाया है। मौके पर पहुंचे मुम्बादेवी के विधायक अमीन पटेल का कहना है कि बचाव कार्य में मदद के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम मौके पर पहुंच रही है। हमारा अंदाजा है कि मलबे में अभी भी 10-12 परिवार फंसे हुए हैं। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि इमारत करीब 100 साल पुरानी है लेकिन वह खस्ताहाल इमारतों की सूची में नहीं थी, उसे पुन:विकास के लिए डेवेलपर को दिया गया था। इस बिल्डिंग में 10-15 परिवार रह रहे थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह इमारत महाराष्ट्र आवास एवं विकास प्राधिकरण (म्हाडा) की थी। हालांकि म्हाडा के मरम्मत बोर्ड के प्रमुख विनोद घोसालकर का कहना है कि इमारत संस्था की नहीं थी। विधायक भाई जगताप ने कहा कि कुछ बाशिंदों ने आवास प्राधिकरण से शीघ्र कदम उठाने की अपील की थी क्योंकि यह बिल्डिंग बहुत पुरानी थी और लंबे समय से जर्जर दशा में थी। वैसे इस बिल्डिंग के गिरने के बाद भी इसके कुछ हिस्से खड़े हैं।