नई दिल्ली। कांग्रेस के नये अध्यक्ष की तलाश फिलहाल पार्टी की अंदरूनी लॉबिंग में फंसी नजर आ रही है। इस लॉबिंग की वजह से ही राहुल गांधी के उत्तराधिकारी के तौर पर नेतृत्व करने वाले चेहरे को लेकर अभी तक पार्टी में सहमति नहीं बन पायी है। अपने राजनीतिक सेनापति की तलाश कर रही पार्टी में जारी उहापोह का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी एक हफ्ते तक कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाए जाने की संभावना नहीं है।
राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से पार्टी में जारी इस असमंजस के बीच कांग्रेस में नये अध्यक्ष का चयन चुनाव के जरिये करने के विकल्प पर भी मंथन हो रहा है। पार्टी के वरिष्ठ सूत्रों के अनुसार नये अध्यक्ष के नाम पर व्यापक सहमति नहीं बनने की स्थिति में चुनाव का विकल्प अपनाने पर भी गौर किया जा सकता है।
हालांकि पार्टी में संभावित दावेदारों के नाम पर घमासान ऐसा नहीं है कि तत्काल इस विकल्प की जरूरत पड़े। लेकिन नये अध्यक्ष की तलाश एक सीमा से ज्यादा लंबी हुई तो फिर कार्यसमिति को इस बारे में निर्णायक फैसला लेना पड़ेगा।
उनके मुताबिक ऐसी स्थिति में कार्यसमिति की बैठक बुलाकर सबसे पहले राहुल गांधी का इस्तीफा स्वीकार किया जाएगा और संगठन महासचिव की अगुआई में तीन-चार महीने पार्टी कामकाज का संचालन होगा और इस दौरान अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।
मगर राहुल के इस्तीफे के बाद नेतृत्व के संकट से जूझ रही कांग्रेस में चुनाव का विकल्प अंदरूनी गुटबाजी कहीं ज्यादा बढ़ा सकता है। इस आशंका को देखते हुए जाहिर तौर पर पार्टी के लिए यह अंतिम विकल्प ही होगा। सूत्रों ने यह भी बताया कि संभावित दावेदारों में से नये अध्यक्ष के नाम पर सहमति बनाने के जारी प्रयासों को देखते हुए अभी कुछ और वक्त लग सकता है।
ऐसे में 22 जुलाई तक कार्यसमिति की बैठक बुलाने की फिलहाल कोई गुंजाइश नहीं दिख रही। इस बात की संभावना ज्यादा है कि संसद का बजट सत्र खत्म होने के तत्काल बाद कार्यसमिति की बैठक बुलाकर नये अध्यक्ष का फैसला किया जाए।