नई दिल्ली। आपातकालीन रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए सेना इजरायल में बनी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल ‘स्पाइक’ खरीदने जा रही है। यह मिसाइल सटीक निशाना लगाने और बंकरों को भेदने की क्षमता रखती हैं। इसकी खरीद का ऑर्डर भी दे दिया गया है। 14 फरवरी के पुलवामा हमले के बाद सरकार ने तीनों सशस्त्र बलों को आपातकालीन खरीद के अधिकार दिए थे। इसके तहत सेना 300 करोड़ रुपये तक की खरीद कर सकती हैं।सूत्रों के मुताबिक, भारत द्वारा बालाकोट पर की गई एयर स्ट्राइक के बाद अप्रैल में सेना ने इसकी खरीद को मंजूरी दी थी। पिछले महीने रक्षा मंत्री का पदभार संभालने वाले राजनाथ सिंह के सामने मिसाइल का प्रस्तुतिकरण करने के बाद इस महीने की शुरुआत में इसकी खरीद का ऑर्डर दिया गया है।
मिसाइल की खूबियां
1- स्पाइक मिसाइल चार किलोमीटर दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेदने में सक्षम।
2- पहाड़ और सतह दोनों पर तैनात की जा सकती है यह मिसाइल।
3-स्पाइक मिसाइल दुश्मन के बंकर को भेदने की भी क्षमता रखती है।
4-इसे विभिन्न प्लेटफार्मो जैसे वाहन, हेलिकॉप्टर, पोत और जमीन से दागा जा सकता है।
5- इसे नियंत्रण रेखा पर भी तैनात किया जा सकता है।
क्या है स्पाइक मिसाइल
भारत युद्ध के मोर्चे पर जिस एक जगह पकिस्तान से मात खा सकता है, वो है एंटी टैंक मिसाइल। भारत के पास फिलहाल फ्रांस की मिलन (Milan 2T) मिसाइल उपलब्ध हैं। उनकी मारक क्षमता 2 किलोमीटर तक है, जबकि पाकिस्तानी लश्कर के पास चीन में बनी HJ-8 पोर्टेबल एंटी टैंक मिसाइल है। इसे पाक सेना ने ‘बख्तर शेख’ नाम दे रखा है। यह भारत की मिसाइल से से दोगुनी दूरी पर मार करने वाली एंटी टैंक मिसाइल हैं। इसके अलावा पाकिस्तानी इन्फेंट्री के पास अमेरिका में बनी TOW मिसाइल भी है। यह भी भारतीय एंटी टैंक मिसाइल से कहीं बेहतर है। भारतीय सेना लंबे समय से अच्छी एंटी टैंक मिसाइल की मांग कर रही थी।
स्पाइक इजराइल की डिजाइन की हुई चौथी पीढ़ी की मिसाइल है। इस मिसाइल की खास बात यह है कि यह गाइडेड मिसाइल है। माने आप मिसाइल दागिए और भूल जाइए। वो अपने-आप निशाने पर जाकर लग जाएगी। दूसरा, इस मिसाइल को आसानी से लादकर इधर से उधर लेकर जाया जा सकता है। इसकी ये दो खासियत आमने-सामने के मोर्चे में बहुत मददगार साबित होती हैं। इससे चलते हुए टैंक पर बिना चूक के निशाना लगाया जा सकता है। मिसाइल दागने के बाद अपनी पोजिशन बदल सकते हैं, ताकि दुश्मन के निशाने पर आने से बच जाएं। फिलहाल इटली, जर्मनी, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन सहित कुल 26 देश इस मिसाइल का प्रयोग कर रहे हैं।
स्पाइक मिसाइल ही क्यों?
2014 में सेना की एंटी टैंक मिसाइल की मांग पूरी करने की कवायद शुरू हुई। उस समय भारत के पास दो विकल्प थे। पहला, इज़राइल की बनी हुई स्पाइक मिसाइल और दूसरा, अमेरिका में बनी जेवलिन मिसाइल। भारत ने लंबी सौदेबाजी के बाद राफेल को मिसाइल बनाने की जिम्मेदारी दी। इस करार में भारत की तरफ से दो मुख्य शर्तें रखी गई थीं। पहली कि इजराइल मिसाइल का निर्माण भारत में करेगा। दूसरी कि इजराइल इस मिसाइल को बनाने की टेक्नोलॉजी भारत के साथ साझा करेगा। राफेल ने इन शर्तों को बड़ी दिक्कत के बाद मान लिया था।