कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण भारतीयों के रोजाना स्मार्टफोन स्क्रीन टाइम में एकस्ट्रा दो घंटे की वृद्धि हुई है, जिसमें स्कूल एजुकेशन, एंटरटेनमेंट और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग को बड़े पैमाने पर देखा जा रहा है। एरिक्सन की एक रिपोर्ट के अनुसार तीन घटें से लेकर पांच घंटे और ब्राॉडबैंड के माध्यम से कनैक्ट स्क्रीन का इस्तेमाल 2.5 घंटे से 4.5 घंटे तक बढ़ गया है। बता दें कि यात्रा प्रतिबंध के कारण लोग घरों में ही रह रहे थे, जिसके कारण डिजिटल और इंटरनेट देश की अर्थव्यव्स्था के रूप में काफी उभरे और इसके कारण देश की ऑनलाइन खपत में 20 प्रतिशत की वृद्धि भी हुई। एरिक्सन मोबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में डाटा की स्थिति 2019 में दुनिया भर में सबसे अधिक थी और साल 2019 में डेटा की खपत 12 जीबी प्रति माह उपयोगकर्ता की वैश्विक खपत की तुलना में बहुत अधिक थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय स्मार्टफोन ग्राहक आने वाले 5 जी की सेवाओं के लिए 18 फीसदी से अधिक प्रीमियम का भुगतान करने को तैयार हैं। बता दें कि भारत में 5जी का ट्रायल शुरू हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2025 तक भारत में लगभग 41 हजार करोड़ अतिरिक्त स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के आने की उम्मीद है। सरकार 5जी को शुरू करने के लिए काफी कदम उठाने जा रही है और अगले 5 महीनों में इसके टेस्ट शुरू करने की उम्मीद है। हालांकि, 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी अगले साल की मध्य तक वोडाफोन और एयरटेल जैसी कंपनियों की वित्तिय स्थिति में से कुछ होने की उम्मीद है। बता दें कि इस कोरोना महमारी की बीच लोग घरों से ही काम कर रहे है। ऐसे 65 फीसदी लोग है जो मोबाइल ब्रॉडबैंड को उतना ही महत्वपूर्ण मानते है जितना वाई-फाई को। 85 फीसदी लोग ये मानते है कि इंटरनेट कनेक्टविटि ने इस कोरोना संकट के दौरान काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ है।