सारण। इस घटना ने दिल्ली के ‘निर्भया कांड’ की याद दिला दी है। इसमें भी दरिंदों ने पहले सामूहिक दुष्कर्म किया, फिर बताया जाता है कि नाबालिग लड़की के प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डाल दी। घटना बिहार के छपरा की है। हद तो तब हो गई, जब पटना मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (PMCH) के डॉक्टरों ने बुरी तरह घायल लड़की का तब तक इलाज करने से इनकार कर दिया, जब तक एफआइआर (FIR) की कॉपी न मिल जाए। खास बात यह है कि इस मामले पर निर्भया कर मां ने भी अपनी संवेदना प्रकट की है। इस बीच सारण के एसपी ने सामूहिक दुष्कर्म की शिकार लड़की के प्राइवेट पार्ट में रॉड डालने की घटना से इनकार किया है। घटना पर सियासी बयानबाजी भी शुरू है। बिहार महिला आयोग ने भी इसका संज्ञान लिया है। मिली जानकारी के अनुसार छपरा में एक किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद उसके प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड घुसेड़ देने की शर्मनाक घटना हुई। बाद में लड़की को किसी तरह घर पहुंचकर अचेत हो गई। बेहोशी की हालत में परिजनों ने उसे छपरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन हालत चिंताजनक देखकर उसे पटना के पीएमसीएच भेज दिया गया। इस बीच पुलिस एफआइअार की औचपारिकता में जुटी रही। घटना का दूसरा शर्मनाक पहलु पटना के पीएमसीएच में देखने को मिला। बुरी तरह घायल लड़की का तत्काल इलाज करने से पीएमसीएच के डॉक्टरों ने इनकार कर दिया। वे इलाज के पहले एफआइआर की कॉपी के लिए अड़ गए। परिजनों ने बार-बार आगह किया कि एफआइआर कॉपी आ ही जाएगी, इलाज तो शुरू कीजिए, लेकिन वे नहीं माने। बाद में जब मामला मीडिया में गया मे डॉक्टरों को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन याद आई और इलाज शुरू हुआ। विदित हो कि दुर्घटना या अपराध के मामलों में डॉक्टरों को तत्काल इलाज आरंभ करना है। पुलिस औपचारिकताओं के पूरे होने होने के नाम पर इलाज को नहीं रोकना है। लेकिन इस मामले में पीएमसीएच में डॅक्टरों ने पुलिस अौपचारिकता के नाम पर तीन घंटे तक इलाज शुरू नहीं किया। इस बीच घायल लड़की तड़पती रही। सारण के एसपी हर किशोर राय ने लड़की से सामूहिक दुष्कर्म की बात तो स्वीकार करते हैं, लेकिन प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डालने की की घटना की पुष्टि नहीं कर रहे। एसपी ने बताया कि पुलिस ने दो आरोपितों सोनू व आतिश को गिरफ्तार कर लिया है। तीसरे आरोपी एक आइटीबीपी जवान की तलाश जारी है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने घटनास्थल की जांच के लिए फोरेंसिक टीम को भी बुलाया है।
साल 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया दुष्कर्म कांड से इस मामले की समानता है। निर्भया (काल्पनिक नाम) के साथ दिल्ली की एक बस में सामूहिक दुष्कर्म किया गया, फिर उसके प्राइवेट पार्ट में रॉड डाल दी गई थी। इसके बाद दरिंदों ने उसे मरने के लिए बस से फेंक दिया था। बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। अब छपरा की घटना ने निर्भया की मां को अपनी बेटी के साथ हुई दरिंदगी की याद फिर ताजा कर दी है। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि दुनिया के तमाम काम हो रहे हैं, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। . प्रशासन, सरकार और व्यवस्था ने कोई सबक नहीं लिया है।
राजनीतिक बयानबाजी शुरू
घटना पर सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है। जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि ऐसी घटनाएं राज्य को शर्मसार करतीं हैं। इस मामले में सबों की गिरफ्तारी होगी। पुलिस गंभीर है। उधर, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के निखिल आनंद ने कहा कि यह कोई राजीतिक मुद्द नहीं। समाज की चेताना जगा मिल-जुलकर चुनौतियों से निबटना होगा।
घटना को ले राज्य महिला आयोग गंभीर
घटना को लेकर बिहार राज्य महिला आयोग गंभीर है। आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा ने छपरा की घटना को शर्मनाक बताते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं रूक नहीं रहीं। सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए।