नई दिल्ली। भारत में अब एक राज्य कम होने के साथ दो नए केंद्र शासित राज्य हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का जो नया कानून बना है, वो आधी रात के बाद से प्रभाव में आ गया है। राज्य के पुर्नगठन के प्रभाव में आने की तारीख 31 अक्टूबर रखी गई थी। 70 वर्षो की लंबी जद्दोजहद के बाद पूरे हिंदुस्तान में एक देश, एक विधान और एक निशान का सपना साकार हो गया। जम्मू-कश्मीर राज्य अतीत का हिस्सा बन गया और दो नए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख देश के नक्शे पर उभर कर आ गए। दोनों ही जगह अलग-अलग प्रशासनिक व्यवस्था होगी, जिसकी कमान राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के तौर पर उपराज्यपाल संभालेंगे। गिरीश चंद्र मुर्मू केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के पहले उपराज्यपाल के तौर पर श्रीनगर स्थित राजभवन में शपथ ग्रहण करेंगे, जबकि राधाकृष्ण माथुर लद्दाख के पहले उपराज्यपाल के रूप में लेह में शपथ लेंगे। लद्दाख बिना विधानसभा का केंद्र शाासित राज्य होगा, जबकि जम्मू–कश्मीर में विधानसभा होगी। जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल सुबह लेह में आरके माथुर को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी और उसके बाद वह विशेष विमान में श्रीनगर पहुंचेगी और यहां जीसी मुर्मू को शपथ दिलाएंगी। जीसी मुर्मू बुधवार को श्रीनगर पहुंच गए। पूर्व रक्षा सचिव माथुर सुबह 7.45 बजे लेह स्थित सिंधु संस्कृति केंद्र में आयोजित समारोह में शपथ ग्रहण करेंगे। समारोह सुबह 7.30 बजे शुरू होगा। इसकी तैयारियों की देखरेख कर रहे कमिश्नर सचिव लद्दाख रिगजिन सम्पेल ने बताया कि सभी प्रबंध हो गए हैं। वहीं श्रीनगर में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जीसी मुर्मू को सुबह पौने बारह बजे शपथ दिलाने का कार्यक्रम है। मुख्य न्यायाशीध गीता मित्तल को लेह से आना है। अगर उनके पहुंचने में देरी होती है तो शपथ ग्रहण पौने एक बजे होगा। समारोह में निवर्तमान राज्यपाल सत्यपाल मलिक की मौजूदगी की कोई सूचना नहीं है। उन्हें गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। दोनों ही जगह शपथ ग्रहण समारोह में फिलहाल किसी भी केंद्रीय नेता और केंद्रीय मंत्री के आगमन की सूचना नहीं है। पीएमओ में राज्यमंत्री व जम्मू संभाग के डोडा-कठुआ संसदीय क्षेत्र के सांसद डॉ. जितेंद्र सिह भी किसी समारोह में शामिल नहीं होंगे। वह 31 अक्टूबर को दिल्ली में होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर स्टेचू ऑफ यूनिटी पर आयोजित एक समारोह में भाग लेंगे, जबकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दिल्ली में रन फॉर यूनिटी दौड़ को हरी झंडी दिखाएंगे। 6 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को पारित किया था। इसके तहत जम्मू–कश्मीर दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्यों जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के रूप में 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएगा। केंद्र सरकार ने देश के पहले गृहमंत्री लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए ही जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को 31 अक्टूबर को प्रभावी बनाने का फैसला किया है। पटेल ने भारत-पाक विभाजन के बाद विभिन्न रियासतों के भारत में विलय में अहम भूमिका निभाई थी। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ नौकरशाह और राज्य के अंतिम राज्यपाल सत्यपाल मलिक के प्रधान सचिव उमंग नरूला को केंद्र शासित लद्दाख के पहले उपराज्यपाल आरके माथुर का सलाहकार नियुक्त किया है। नरूला 1965 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वह जम्मू प्रांत के मंडलायुक्त भी रह चुके हैं। लद्दाख में पुलिस प्रशासन की कमान 1995 बैच के आईपीएस एसएस खंडारे को सौंपी गई है। दोनों अधिकारी 31 अक्टूबर से अपना नया कार्यभार संभालेंगे। भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक देश, एक विधान और एक निशान का नारा दिया था। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खिलाफ उन्होंने आंदोलन किया। इसी दौरान पुलिस हिरासत में उनकी मौत हो गई थी।