नई दिल्ली।UPSC Civil Service Exam : यूपीएससी सिविल सर्विस की प्री परीक्षा में बड़े बदलाव की उम्मीद है। संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी ने भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को सिविल सर्विस की परीक्षा में एप्टीट्यूट टेस्ट (CSAT) को खत्म करने का प्रस्ताव दिया है। इस परीक्षा को हटाने के लिए काफी संख्या में छात्रों ने प्रदर्शन किया था।
यूपीएससी ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि सी-सैट का पेपर समय की बर्बादी है। इसके साथ ही यूपीएससी ने कर्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को यह भी प्रस्ताव दिया है कि जो छात्र यूपीएससी का फॉर्म भरकर परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं, उन्हें दंडित किया जाए।
2011 से सिविल सर्विस की प्रारंभिक परीक्षा में वैकल्पिक विषयों के पेपर की जगह सिविल सर्विस एप्टीट्यूट टेस्ट (CSAT) का एक पेपर जोड़ा गया था। हालांकि अगले राउंड में छात्रों का चयन दूसरे पेपर के आधार पर किया जाता है जिसमें करंट अफेयर और सामान्य ज्ञान के सवाल पूछे जाते हैं। CSAT पेपर के अंक सिर्फ क्वालिफाइंग है जिसमें पास होने के लिए 33 प्रतिशत अंकों की जरूरत होती है।
रीजनिंग और अंग्रेजी के प्रश्न होने के कारण लाखों छात्रों का कहना है कि यह पेपर सिर्फ कान्वेंट और इंजीनियरिंग के छात्रों को फायदा पहुंचाता है। 2011 से ही इस पेपर को लेकर विद्यार्थी धरना-प्रदर्शन दे रहे हैं। कई बार यह धरना हिंसक रूप भी ले चुका है।
करीब नौ साल बाद अब UPSC को लग रहा है कि सिविल सर्विस की परीक्षा में सी-सैट का पेपर समय की बर्बादी है। यूपीएससी के अधिकारियों का कहना है कि एप्टीट्यूट टेस्ट के पेपर को यूपीएससी के सिलेबस में सिर्फ जोड़ने के लिए जोड़ गया है। यह समय की बर्बादी है।
परीक्षा न देने वालों छात्रों पर हो कारवाई
UPSC ने कर्मिक एवं प्रशिक्षण को भेजे प्रस्ताव में यह भी कहा है कि जो छात्र सिविल सर्विस प्रारंभिक परीक्षा के लिए फॉर्म भरकर परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं, उनके प्रयास में कटौती कर दी जाए। UPSC के मुताबिक आधे फॉर्म भरने वाले परीक्षा में शामिल नहीं होते।
इससे पहले भी UPSC ने सरकार को प्रस्ताव भेजा था कि अगर किसी छात्र ने UPSC का फार्म भर दिया तो उसे एक प्रयास माना जाए। UPSC में सामान्य वर्ग के लिए अधिकतम छह प्रयास निर्धारित है। UPSC का मानना है कि फार्म भरकर परीक्षा में अनुपस्थित रहने वाले छात्रों को अगर दंडित कर दिया जाए तो छात्र अनावश्यक परीक्षा नहीं देंगे। इससे संसाधनों की बचत होगी।