370 से मिली आजादी, अब मंदिरों के जीर्णोद्धार की बारी

नई दिल्ली। फरवरी 1991 में जब अयोध्या आंदोलन अपने चरम पर था उस दौर में इसकी अगुवाई करने वाले भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने एक वक्तव्य में कहा था कि सभी राजनीतिक पार्टियां बाबरी के बारे में बोल रही हैं लेकिन किसी ने कश्मीर में तोड़े गए 55 मंदिरों के बारे में कुछ नहीं कहा। इसके बाद भाजपा द्वारा कश्मीर में तोड़े जाने वाले मंदिरों की अलग-अलग सूचियां कई बार जारी की गईं। जिनमें संख्या को लेकर हमेशा ही विरोधाभास रहा था। लेकिन वर्तमान में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी के जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में 50 हजार छोटे बड़े मंदिर के बंद पड़े होने और इनके खोले जाने की बात कहे जाने के बाद यह मुद्दा फिर से सुर्खियों में आ गया। वैसे तो सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती यानि 31 अक्टूबर से भारत के नक्शे पर दो नए केंद्र शासित प्रदेश उभरेंगे। इसी दिन से जम्मू कश्मीर और लद्दाख भारत के सबसे नए केंद्र शासित प्रदेश की शक्ल अख्तियार करेंगे। गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने बताया कि 31 अक्टूबर से दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्रशासनिक काम शुरू हो जाएगा। लेकिन जम्मू कश्मीर के संबंध में सबसे बड़ा फैसला लेते हुए केंद्र सरकार ने आतंकवाद के चलते बंद स्‍कूलों और मंदिरों का सर्वे करने का फैसला लिया गया है। दरअसल आतंकवाद की वजह से वहां पर 50 हजार मंदिर बंद हो चुके हैं। गृह राज्‍यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि बंद पड़े मंदिरों को दोबारा खोलेंगे। गौरतलब है कि बीती सदी के नौवें दशक में आतंकियों ने कश्मीर में मंदिरों को बहुत नुकसान पहुंचाया था। तब से अनेक मंदिर बंद पड़े हैं। कश्मीर में जब आतंकवाद चरम पर था, तब अनेक नए-पुराने मंदिरों को तहस-नहस कर दिया गया। कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाने के साथ बड़ी संख्या में मंदिरों और मठों को नुकसान पहुंचाया गया। उन पर कब्जे भी कर लिए गए। ऐसे में गृह राज्य मंत्री का बयान सामने आते ही जम्मू कश्मीर के हिंदू समुदाय में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। जिन्हें ये लगने लगा है कि मंदिरों के बंद किवाड़ खुलेंगे, मंदिर भी उसी तरह आजाद होंगे जिस तरह से लोग अनुच्छेद 370 से आजाद हुए हैं। घाटी के कुछ बंद पड़े मंदिरों पर एक नजर…

रूपभवानी मंदिर: गंदेरबल जिले के लार में कश्मीर के महान संत कवि रूपभवानी के नाम पर मंदिर है। फिलहाल जर्जर हालत में है। जमीन पर कब्जा हो चुका है। नार नाग मंदिर: गंदेरबल जिले के तहसील कंगन में है 1500 साल पुराना भगवान शिव का मंदिर। पिछले साल इसमें तोड़फोड़ की घटना सामने आई थी।
सूर्य मंदिर
दक्षिण कश्मीर के मार्तंड में स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर लगभग 1500 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा अशोक के बेटे ने करवाया था। माना जाता है कि सूर्य की पहली किरण निकलने पर राजा अपनी दिनचर्या की शुरुआत सूर्य मंदिर में पूजा करके करते थे। फिलहाल मंदिर खंडहर की शक्ल में है। इस मंदिर की ऊंचाई भी 25 फुट रह गई है।

शीतलेश्वर मंदिर: श्रीनगर के हब्बा कदल में 2000 साल पुराना शीतलेश्वर मंदिर है। जर्जर हालत में पहुंच चुके इस मंदिर को कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने फिर से आबाद किया था। हालांकि डर के माहौल के बीच मंदिर की देखरेख नहीं हो रही है। लगातार हिंसा के चलते अब यह वीरान पड़ा है।
खीर भवानी मंदिर श्रीनगर से 30 किमी दूर गंदेरबल जिले के तुल्ला मुल्ला गांव में स्थित यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की आराध्य रंगन्या देवी का है। यहां हर साल खीर भवानी महोत्सव मनाया जाता है। आतंकवादियों ने इस इलाके में कई बार हमला किया, जिसके बाद मंदिर को बंद करना पड़ा। इस मंदिर से जुडी एक प्रमुख किवदंती है कि सतयुग में भगवान श्री राम ने अपने निर्वासन के समय इस मंदिर का इस्तेमाल पूजा के स्थान के रूप में किया था।
भवानी मंदिर: कश्मीर के अनंतनाग जिले में है भवानी मंदिर। 1990 में कश्मीरी पंडित घाटी छोड़कर गए, तो यह इलाका और मंदिर भी सूना हो गया। देखरेख के अभाव में बस ढांचा ही बचा है।
त्रिपुरसुंदरी मंदिर: कुलगाम जिले के देवसर इलाके में त्रिपुरसुंदरी मंदिर है। इसकी देखभाल करने वालों का कहना था कि आतंकियों की धमकी के चलते इस मंदिर में रोजाना पूजा नहीं हो पाई।
मट्टन: पहलगाम मार्ग पर श्रीनगर से 61 किमी दूर यह हिंदुओं का पवित्र स्थल माना जाता है। यहां एक शिव मंदिर और खूबसूरत झरना है। वर्षों से बंद है। ज्वालादेवी मंदिर: श्रीनगर के पुलवामा से करीब 20 किमी दूर खरेव में स्थित यह मंदिर कई वर्षों से बंद था। दक्षिण कश्मीर में स्थित यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की ईष्ट देवी का मंदिर है। दो वर्ष पहले कट्टरपंथियों ने इस मंदिर में आग लगागर इसे नष्ट कर दिया। फिलहाल इसकी मरम्मत का काम शुरू हो चुका है।

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