
देहरादून : गये साल में प्रकृति के सितम ने उत्तराखंड के जंगलों में जो कहर बरपाया उसने एक नया रिकार्ड कायम कर दिया है। 2020 में अक्तूबर से दिसंबर तक जितनी घटनाएं वनाग्नि की दर्ज हुईं उतनी पहले कभी नहीं हुईं। राज्य भर में करीब दो सौ चालीस घटनाएं इस दौरान दर्ज हुईं। इसके साथ ही साढ़े पांच हजार पेड़ इस आग में जल गए। पिछले साल अक्तूबर-दिसंबर में राज्य में आग की जो घटनाएं हुईं उनको काबू करने मेंकरीब दस लाख रुपये खर्च किए गए। आग से इस दौरान सबसे ज्यादा नुकसान पौड़ी में 115.6 हे., उत्तरकाशी में 38.8 हे., अल्मोड़ा में 61.5 हे.हुआ।
ये हैं मुख्य वजहें
-सर्दियों में बारिश व बर्फबारी बेहद कम हुई।
-सीजन में आग न लगने से सूखे पेड़ पत्ते ठीक से नहीं जले।
-लॉकडाउन के चलते लोग जंगलों से सूखे पत्ते व लकड़ियां नहीं उठा पाए जो जमा होती गईं।
-लॉकडाउन में वापस आए प्रवासी या अन्य लोग सर्दियों में बाहर निकले और खेतों जंगलों के आसपास काम किया।
-लॉकडाउन में पूरी छूट के बाद लोगों ने शिकार के लिए भी जंगल में आग लगानी शुरू की।
गर्मियों का भी टूटा रिकार्ड
पिछले साल गर्मियों में आग की महज 157 घटनाएं पूरे फायर सीजन यानी फरवरी से जून तक दर्ज की गईं। जिसमें करीब ढाई सौ हेक्टेयर जंगल जले। उसमें भी छोटे बड़े एक हजार से ज्यादा पेड़ ही जले थे। इसके अलावा विभाग को किसी घटना में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।
यूं तो सर्दियों में भी छोटी मोटी आग हर साल लगती थी। लेकिन पिछले साल सर्दियों में कई वजहों से आग की घटनाएं सबसे ज्यादा हुईं। इसका पिछला रिकार्ड उपलब्ध नहीं है, क्योंकि कभी इसकी जरूरत ही नहीं पड़ी। विभाग 15 फरवरी के बाद ही मानिटरिंग करता था। पहली बार अक्तूबर से मानिटरिंग शुरू की गई। इस बार तापमान बढ़ते ही घटनाएं और बढ़ने की आशंका के चलते तैयारियां शुरू कर दी हैं।