नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपने सुसाइड नोट में अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराने वाले पूर्व आइपीएस अफसर गौरव दत्त की मौत की स्वतंत्र जांच की कोशिशों पर विराम लग गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 1986 बैच के आइपीएस अफसर की पत्नी श्रेयसी दत्त की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका वापस लेने की उन्हें अनुमति दे दी है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने विगत शुक्रवार को कहा कि श्रेयसी दत्त से बातचीत के बाद उन्हें इस बात की तसल्ली हो गई कि रिट याचिका को वापस लेने की इजाजत दे दी जाए। खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि विगत नौ मई, 2019 को हममें से एक जज (जस्टिस अनिरुद्ध बोस) ने व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता (श्रेयसी दत्त) से मुलाकात की थी। इसके हमें इस बात पर संतोष है कि उनकी रिट याचिका को वापस लेने दिया जाए। हमारा आदेश भी यही है।खंडपीठ ने बताया कि विगत नौ मई को वह श्रेयसी से बातचीत करके यह जानना चाहते थे कि वह याचिका क्यों वापस लेना चाहती हैं। इसलिए श्रेयसी को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा गया था। ध्यान रहे कि श्रेयसी ने अपनी याचिका वापस लेने की अपील की थी। उन्होंने दलील दी थी कि केस दायर करते समय उनकी दिमागी हालत ठीक नहीं थी। इसके बाद खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार को यह निर्देश दिया कि वह श्रेयसी को अब तक की अदालती कार्यवाही में हुए खर्च की भरपाई के लिए 25 हजार रुपये की रकम अदा करे। पश्चिम बंगाल के पूर्व वरिष्ठ पुलिस अफसर गौरव दत्त को विगत 19 फरवरी को अपने घर में कटी हुई कलाई के साथ मृत पाया गया था। दत्त ने पिछले साल ही रिटायरमेंट लिया था। खुदकशी करने वाले गौरव दत्त ने अपने सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया था। उनके खिलाफ दो मामलों में जांच चल रही थी। उनकी पत्नी श्रेयसी दत्त ने भी तब इस बात की पुष्टि की थी कि उन्हीं के हाथ का लिखा सुसाइड नोट है। तब उन्होंने मीडिया को बताया था कि सरकार की प्रताड़ना और अपमान से गुजरने के कारण आत्महत्या की है।