पत्रकारों की समस्याओं को लेकर सीएम से मिले, वयोवृद्ध पत्रकारों को दी जाने वाली पेंशन राशि में वृद्धि की मांग

देहरादून। उत्तराखण्ड पत्रकार यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष चेतन गुरूंग की अध्यक्षता में पत्रकारों ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से भेंटकर उन्हें पत्रकारों की समस्याओं से अवगत कराया। उत्तराखण्ड में वयोवृद्ध पत्रकारों को दी जाने वाली पेंशन राशि में वृद्धि के बावत एक ज्ञापन भी सीएम को पे्रषित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पत्रकारों की समस्याओं व वयोवृद्ध पेंशन वृद्धि में शीघ्र ही संशोधन कराने का आश्वासन यूनियन को दिया।
पत्रकारों का कहना था कि उत्तराखंड में वर्ष-2016 से सरकार ने वयोवृद्ध पत्रकारों को उनकी वृद्धावस्था के दौरान पेंशन प्रदान करने संबंधी व्यवस्था की हुई है। पत्रकार कल्याण कोष (काॅरपस फंड) से यह पेंशन प्रदान की जाती है। इसके तहत 60 वर्ष अथवा उससे अधिक उम्र के वयोवृद्ध पत्रकारों को निर्धारित शर्तें पूरी करने के पश्चात रू.-5,000 (पांच हजार रूपये) मात्र की मासिक पेंशन प्रदान किए जाने का प्रावधान है। पत्रकार की मृत्यु के पश्चात उसकी पत्नी को इसकी आधी ही राशि (रू.-2,500 मात्र) पेंशन स्वरूप दिए जाने की व्यवस्था है। इसमें यह भी प्रतिबंध लगाया गया है कि ’’ऐसे पत्रकार किसी अन्य पेंशन योजना से लाभान्वित न हों और समस्त स्रोतों से उनकी वार्षिक आय रू.-1.5 लाख (मात्र डेढ़ लाख रूपये सालाना) से अधिक न हो।’’वयोवृद्ध पत्रकारों को मिलने वाली पेंशन की इस राशि में पिछले चार वर्ष के दौरान किसी तरह की वृद्धि नहीं की गई है, जबकि सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें इस अवधि में डेढ़ से दो गुना तक बढ़ गई हैं। ऐसे में प्रतिदिन औसतन 166 रूपये मात्र (फैमिली पेंशन के मामले में 83 रूपये रोज) की यह पेंशन अत्यंत नाकाफी है। यहां सादर यह अवगत कराना उचित प्रतीत हो रहा है कि देश के अन्य राज्यों यथा- हरियाणा में रू.-10,000, महाराष्ट्र में रू.10,000, तमिलनाडु में रू.- 10,000, झारखंड में रू.- 10,000, असम में रू.- 8,000 मासिक पेंशन प्रदान की जा रही है। इस तरह सबसे कम पेंशन उत्तराखंड में मिल रही है। यही नहीं, हरियाणा की भाजपा सरकार ने तो यहां तक प्रावधान किया हुआ है कि यदि संबंधित पत्रकार किसी अन्य राज्य सरकार अथवा समाचार संगठन से पेंशन प्राप्त कर रहा है और ऐसी पेंशन की राशि रू.-10,000 से कम है, तो उक्त राशि को घटाते हुए वह अवशेष राशि तक की पेंशन प्राप्त करने का पात्र भी होगा। यह भी आग्रह करना है कि वर्तमान में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भी रू.- 5 लाख तक की वार्षिक आय को आयकर छूट के दायरे में ला चुकी है। ऐसे में वयोवृद्ध पत्रकारों की पेंशन के लिए उत्तराखंड लगाया गया सभी स्रोतों से 1.5 लाख रूपये वार्षिक आय संबंधी प्रतिबंध पूरी तरह अव्यावहारिक है। उत्तरांचल प्रेस क्लब व उत्तराखण्ड पत्रकार यूनियन ने सीएम निवेदन किया कि वयोवृद्ध पत्रकारों को मिलने वाली पेंशन की राशि में वृद्धि करते हुए इसे मात्र न्यूनतम रू.- 15,000 (पंद्रह हजार रूपये) करने की कृपा करेंगे। हरियाणा की भांति अन्यत्र से पेंशन प्राप्ति संबंधी प्रतिबंध राज्य में मिलने वाली पेंशन की सीमा तक हटाने और सभी स्रोत्रों से 1.5 लाख रूपये वार्षिक आय के प्रतिबंध को शिथित करते हुए 5 लाख रूपये वार्षिक तक करने का कष्ट करेंगे। वयोवृद्ध पत्रकारों की पात्रता की शर्त में यह संशोधन भी अवश्य कराने की अनुकंपा करेंगे कि योजना का पात्र वही पत्रकार हो, जो उत्तराखंड राज्य का स्थायी निवासी हो और कम से कम पिछले 20 साल से राज्य में पत्रकारिता कर रहा हो। सीएम से भेंट करने वाले पत्रकारों में यूनियन के प्रदेश महामंत्री गिरिधर शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष नवीन थलेड़ी, सदस्य जितेन्द्र अंथवाल, कुंवर राज अस्थाना के साथ ही उत्तरांचल पे्रस क्लब अध्यक्ष देवेन्द्र सती, कोषाध्यक्ष इंद्रेश कोहली आदि शामिल रहे।

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