देहरादून , देवभूमि जनसंवाद न्यूज़। 09 नवम्बर, 2020 को भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (प्ब्थ्त्म्), देहरादून (पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की एक स्वायत्त परिषद्) एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भारतीय खनि विद्यापीठ), (प्प्ज्.प्ैड), धनबाद के मध्य वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए। इस समझौता ज्ञापन पर भा.वा.अ.शि.प., देहरादून के महानिदेशक श्री अरूण सिंह रावत एवं भा.प्रौ.सं (भारतीय खनि विद्यापीठ), धनबाद के डीन (अनुसंधान एंव विकास) प्रो.0 शालिवाहन द्वारा हस्ताक्षर किये गए।
भा.वा.अ.शि.प., देहरादून, देश भर में स्थित अपने संस्थानों और केंद्रों के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर वानिकी अनुसंधान, विस्तार, शिक्षा का मार्गदर्शन, प्रचार और समन्वय कर रहा है। वर्तमान में भा.वा.अ.शि.प. विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन, वन उत्पादकता, जैव विविधता और कौशल विकास के क्षेत्रों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के समकालीन मुद्दां पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
समझौता ज्ञापन पर खनन क्षेत्र में सुधार और वानिकी अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान एवं संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के कार्यान्वयन के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के उद्ेदश्यों के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं।
इस सहयोग के माध्यम से भा.वा.अ.शि.प. एवं भा.प्रौ.सं (भारतीय खनि विद्यापीठ) अपनी वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञताओं को साझा करके एक दूसरे के पूरक होंगे। इससे तकनीकी अंतराल की पहचान करने, वन आधारित प्रौद्योगिकियों के विस्तार, हितधारकों को सूचना के प्रसार के लिए संसाधनों के आदान-प्रदान में मदद मिलेगी। यह आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने और वन आधारित समुदायों की आय बढ़ाने के साथ-साथ संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करने के लिए उद्योगों की सहायता करने में भी मदद करेगा। दोनों संगठनों से संबंधित वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों और केंद्रों के बीच अंतर-संस्थागत लिंक सहयोग को और मजबूत करेंगे।
समझौता ज्ञापन से दोनों संगठनों के लिए अनुसंधान और विकास में सहयोग मिलने की उम्मीद है और अंततः इसका लक्ष्य बेहतर आर्थिक और पारिस्थितिक सुरक्षा को बढ़ावा देना होगा।
इस अवसर पर प्रो0 राजीव शेखर, निदेशक, भा.प्रौ.सं (भारतीय खनि विद्यापीठ), धनबाद ने हिस्सा लिया और प्रतिभागियों को संबोधित किया। इस अवसर पर भा.वा.अ.शि.प. के सभी उपमहानिदेशक, निदेशक (अंतर्राष्ट्रीय सहयोग), सहायक महानिदेशक (पर्यावरण प्रबंधन), सहायक महानिदेशक (बाह्य परियोजना) और भा.वा.अ.शि.प. के वैज्ञानिकों एवं डीन, एसोसिएट डीन व भा.प्रौ.सं (भारतीय खनि विद्यापीठ), धनबाद के संकाय सदस्यों ने भाग लिया।