राजधानी देहरादून में खुले में शौच से मुक्ति पर सरकारी दावों की खुली पोल

देहरादून, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत “खुले में शौच मुक्त भारत” की मुहीम का पूरे देश में लगातार तेजी के साथ प्रचार प्रसार किया जा रहा हैं, लोगो को जागरूक करने के साथ साथ शौचालय बनवाने में भारत सरकार भारी भरकम पैसा भी खर्च कर रही हैं, क्योंकि भारत में खुले में शौच की परम्परा सदियों से चली आ रही है, और इसकी वजह से डायरिया, पीलिया और पोलियो जैसी बीमारियां पैदा होती हैं. स्वच्छ भारत अभियान वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री के गद्दी पर बैठने के बाद शुरू किया गया था, और इसका लक्ष्य वर्ष 2019 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक खुले में शौच की समस्या को खत्म कर देना था, वही बात करे उत्तराखंड की तो उत्तराखंड को खुले में शौच से मुक्त राज्य घोषित किया गया है लेकिन इसके उलट बात करे राजधानी देहरादून की जहां पर मुख्यमंत्री से लेकर पूरे सरकारी तंत्र का जमावड़ा हैं लेकिन यही पर सरकार की नाक के नीचे मोदी के “स्वच्छ भारत अभियान” की जमकर धजिज्यां उड़ाई जा रही हैं, शासन प्रशासन, जनप्रतिनिधि कोई भी मामले में गंभीर नहीं हैं, बात करते हैं देहरादून के पॉश इलाके बल्लीवाला चौक से महज कुछ ही दूरी पर कालिंदी एन्क्लेव से लगे रिहायशी इलाके में जहां एक दो नहीं बल्कि 20 से 25 लोग शौचालयों की बजाए खुले में ही शौच के लिए जाते हैं, इलाक़े के लोगों से बात की तो पता चला की मामले की जानकारी क्षेत्र के विधायक, यहाँ के पार्षद को दी गयी हैं साथ ही पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराई गयी हैं मौके पर भी पुलिस को बुला कर दिखाया गया हैं लेकिन आज तक किसी भी तरह की कोई कारवाही नहीं की गयी हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहीम का जब इस तरह से माखौल उड़ाया जाएगा वो भी राजधानी के पॉश इलाके में तो आप समझ ही सकते हैं, और सबसे ख़ास बात ये सामने आई की ये जो लोग यहाँ पर किराये पर रह रहे हैं इनका न तो सत्यापन कराया गया हैं न ही इनको शौचालय बनाकर दिया गया हैं यहाँ तक की ये एक कमरे के अंदर ही 20 से 25 लोग रहते हैं, यहाँ पर रहने वाले लोगो का कहना हैं की हम लोगो का इस गंदगी में रहना दूभर हो गया हैं लेकिन सुनने को कोई तैयार नहीं हैं, जगह के मालिक से भी बात की गयी लेकिन कोई भी सकारात्मक रवैया सामने नहीं आया, गंदगी का अंबार लगा हैं बरसात का मौसम आने वाला हैं जिस वजह से भयंकर बीमारी फैलने की आशंका हैं, अगर कल को इलाके में महामारी फैलने से कोई अनहोनी हो गयी तो कौन जिम्मेदार होगा इस सबका, किसकी जवाबदेही होगी
अब बड़ा सवाल यही हैं की क्या यही हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की सच्चाई, उत्तराखंड को खुले में शौच मुक्त राज्य घोषित करने का सच
भाई ये खबर देखो एक बार बहुत काम की हैं
फोटो और वीडियो भी मिल जायेगीराजधानी देहरादून में खुले में शौच से मुक्ति पर सरकारी दावों की खुली पोल
देहरादून, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत “खुले में शौच मुक्त भारत” की मुहीम का पूरे देश में लगातार तेजी के साथ प्रचार प्रसार किया जा रहा हैं, लोगो को जागरूक करने के साथ साथ शौचालय बनवाने में भारत सरकार भारी भरकम पैसा भी खर्च कर रही हैं, क्योंकि भारत में खुले में शौच की परम्परा सदियों से चली आ रही है, और इसकी वजह से डायरिया, पीलिया और पोलियो जैसी बीमारियां पैदा होती हैं. स्वच्छ भारत अभियान वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री के गद्दी पर बैठने के बाद शुरू किया गया था, और इसका लक्ष्य वर्ष 2019 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक खुले में शौच की समस्या को खत्म कर देना था, वही बात करे उत्तराखंड की तो उत्तराखंड को खुले में शौच से मुक्त राज्य घोषित किया गया है लेकिन इसके उलट बात करे राजधानी देहरादून की जहां पर मुख्यमंत्री से लेकर पूरे सरकारी तंत्र का जमावड़ा हैं लेकिन यही पर सरकार की नाक के नीचे मोदी के “स्वच्छ भारत अभियान” की जमकर धजिज्यां उड़ाई जा रही हैं, शासन प्रशासन, जनप्रतिनिधि कोई भी मामले में गंभीर नहीं हैं, बात करते हैं देहरादून के पॉश इलाके बल्लीवाला चौक से महज कुछ ही दूरी पर कालिंदी एन्क्लेव से लगे रिहायशी इलाके में जहां एक दो नहीं बल्कि 20 से 25 लोग शौचालयों की बजाए खुले में ही शौच के लिए जाते हैं, इलाक़े के लोगों से बात की तो पता चला की मामले की जानकारी क्षेत्र के विधायक, यहाँ के पार्षद को दी गयी हैं साथ ही पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराई गयी हैं मौके पर भी पुलिस को बुला कर दिखाया गया हैं लेकिन आज तक किसी भी तरह की कोई कारवाही नहीं की गयी हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहीम का जब इस तरह से माखौल उड़ाया जाएगा वो भी राजधानी के पॉश इलाके में तो आप समझ ही सकते हैं, और सबसे ख़ास बात ये सामने आई की ये जो लोग यहाँ पर किराये पर रह रहे हैं इनका न तो सत्यापन कराया गया हैं न ही इनको शौचालय बनाकर दिया गया हैं यहाँ तक की ये एक कमरे के अंदर ही 20 से 25 लोग रहते हैं, यहाँ पर रहने वाले लोगो का कहना हैं की हम लोगो का इस गंदगी में रहना दूभर हो गया हैं लेकिन सुनने को कोई तैयार नहीं हैं, जगह के मालिक से भी बात की गयी लेकिन कोई भी सकारात्मक रवैया सामने नहीं आया, गंदगी का अंबार लगा हैं बरसात का मौसम आने वाला हैं जिस वजह से भयंकर बीमारी फैलने की आशंका हैं, अगर कल को इलाके में महामारी फैलने से कोई अनहोनी हो गयी तो कौन जिम्मेदार होगा इस सबका, किसकी जवाबदेही होगी
अब बड़ा सवाल यही हैं की क्या यही हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की सच्चाई, उत्तराखंड को खुले में शौच मुक्त राज्य घोषित करने का सच
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